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पंचांग के अनुसार, कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि पर गोवर्धन पूजा की जाती है. हर साल यह दिन दिवाली के अगले दिन मनाया जाता है लेकिन इस साल दिवाली की तिथि भी 2 दिवसीय हो जाने से गोवर्धन पूजा की सही तिथि को लेकर कंफ्यूजन होने लगी है. गोवर्धन पूजा हिंदुओं का प्रमुख त्योहार है. मान्यतानुसार इसी दिन श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत उठा लिया था और इंद्र देव के प्रकोप से गांव वालों की रक्षा की थी. गोवर्धन पूजा को अन्नकूट पूजा भी कहा जाता है. इस दिन भगवान कृष्ण को अनाज से बना भोग लगाते हैं, साथ ही गाय और बैलों का पूजन भी किया जाता है और गोबर से गोवर्धन भगवान बनाकर उनकी पूजा और परिक्रमा की जाती है. यहां जानिए इस साल गोवर्धन पूजा की सही तिथि क्या है और किस शुभ मुहूर्त में पूजा की जा सकती है.
गोवर्धन पूजा की सही तिथि
गोवर्धन पूजा इस साल 1 नवंबर के दिन नहीं की जा रही बल्कि 2 नवंबर के दिन पर गोवर्धन पूजा होने जा रही है. पंचांग के अनुसार, कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि का प्रारंभ 1 नवंबर की शाम 6 बजकर 16 मिनट पर हो जाएगा और इस तिथि का समापन 2 नवंबर की रात 8 बजकर 21 मिनट पर होगा. ऐसे में गोवर्धन पूजा 2 नवंबर, शनिवार के दिन की जाएगा.
पूजा का शुभ मुहूर्त शाम के समय 3 बजकर 23 मिनट से 5 बजकर 35 मिनट तक रहेगा. इस शुभ मुहूर्त में पूजा करना अत्यधिक लाभकारी होता है.
गोवर्धन पूजा कैसे करते हैं
गोवर्धन पूजा करने के लिए शाम के समय घर के आंगन में या दरवाजे के बाहर वाले हिस्से में गोबर से लीपकर गोवर्धन भगवान की प्रतिमा बनाई जाती है. साथ ही, गाय और बैल आदि बनाते हैं. अब रोली, खीर, बताशे, चावल, जल, पान, केसर, दूध, फूल और दीपक पूजा सामग्री में शामिल करके गोवर्धन भगवान की पूजा की जाती है. पूजा में गोवर्धन भगवान की परिक्रमा करते हैं, आरती की जाती है और भोग लगाकर प्रसाद सभी में वितरित किया जाता है.
किन चीजों का लगता है भोग
गोवर्धन पूजा को अन्नकूट भी कहा जाता है. इस दिन खाद्य सामग्रियों से पर्वत बनाकर भगवान श्रीकृष्ण के समक्ष अर्पित किया जाता है. इसे अन्न का पर्वत भी कहते हैं. इस भोग में चावल, खीर, पूड़ी, सब्जियां, कढ़ी और तरह-तरह के व्यंजन शामिल किए जाते हैं और भोग लगाने के बाद प्रसाद के तौर पर सभी में इन चीजों को बांटा जाता है. इस तरह गोवर्धन पूजा संपन्न होती है.