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भारत में कोविड-19 के संक्रमण के प्रसार का विस्तार से विश्लेषण किया है और उन्होंने सोमवार को कहा कि संभवत: चार जुलाई से ही संक्रमण की तीसरी लहर शुरू हो चुकी है.
हैदराबाद/ 13 जुलाई (KRB24NEWS) : देश में पिछले 463 दिन में संक्रमण के मामलों और उससे हाेने वाली मौतों की संख्या के आंकड़ों का अध्ययन करने का एक विशेष तरीका विकसित करने वाले डॉ विपिन श्रीवास्तव ने कहा कि चार जुलाई की तारीख, इस साल फरवरी के पहले सप्ताह जैसी लगती है जब दूसरी लहर शुरू हुई थी.
डीएलएल में तेजी से उतार-चढ़ाव
वैज्ञानिक के विश्लेषण के अनुसार जब भी संक्रमण से रोजाना मृत्यु के मामलों के बढ़ने की प्रवृत्ति से घटने की प्रवृत्ति की ओर बढ़ते हैं या इसके विपरीत बढ़ते हैं तो ‘डेली डैथ लोड’ (डीएलएल) में तेजी से उतार-चढ़ाव होता है. श्रीवास्तव ने 24 घंटे की अवधि में संक्रमण से मृत्यु के मामलों और उसी अवधि में नये उपचाराधीन मरीजों की संख्या के अनुपात का विशेष तरीके से आकलन किया और इसे डीडीएल नाम दिया.
देश में बढ़ रही संक्रमितों की संख्या
उन्होंने कहा कि फरवरी के पहले सप्ताह के अंत में हमने डीडीएल में यह उतार-चढ़ाव शुरू होते देखा था. हालांकि उस समय संक्रमण से मृत्यु के मामले 100 के क्रम में या उससे भी कम थे और हम महामारी के समाप्त होने के भ्रम में थे. लेकिन बाद में स्थिति भयावह हो गयी. श्रीवास्तव ने कहा कि चार जुलाई से भी इसी तरह की प्रवृत्ति की शुरुआत देखी जा सकती है. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के सोमवार को जारी ताजा आंकड़ों के अनुसार भारत में एक दिन में कोविड-19 के 37,154 नए मामले सामने आने के बाद देश में संक्रमितों की संख्या बढ़कर 3,08,74,376 हो गई. वहीं, देश में संक्रमण मुक्त हुए लोगों की संख्या तीन करोड़ के पार चली गई है.
सतर्कता रखने की है जरूरत
मंत्रालय के अनुसार देश में 724 और लोगों की मौत के बाद मृतक संख्या बढ़कर 4,08,764 हो गई. उपचाराधीन मरीजों की संख्या कम हो कर 4,50,899 हो गई है, जो कुल मामलों का 1.46 प्रतिशत है. पिछले 24 घंटे में उपचाराधीन मरीजों में कुल 3,219 की कमी आई है. मरीजों के ठीक होने की राष्ट्रीय दर 97.22 प्रतिशत है.
डॉ श्रीवास्तव ने कहा कि हमें अब यही उम्मीद और दुआ करनी चाहिए कि डीडीएल नकारात्मक (निगेटिव) बना रहे. उन्होंने कहा कि दूसरी लहर के भयावह रूप को देखने के बाद जनता और प्रशासन को अतिरिक्त सावधानी बरतनी होगी और नयी लहर की शुरुआत के किसी भी संशय पर बहुत ही सतर्कता रखनी होगी.
हालांकि उन्होंने कहा कि बहुत ज्यादा निगेटिव डीडीएल भी अच्छा नहीं है क्योंकि इससे संकेत मिलता है कि 24 घंटे में स्वस्थ होने वाले रोगियों की संख्या की तुलना में इसी अवधि में नये मरीजों की संख्या रफ्तार पकड़ रही है.