Share this News

रायपुर 21 अक्टूबर ( KRB24NEWS ) : राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन (बिहान) महिलाओं को मजबूत करने के लिए अनेक आयामों पर काम कर रही है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा महिलाओं को सामाजिक और आर्थिक रूप से सशक्त व स्वावलंबी बनाने स्वरोजगार शुरू करने के लिए प्रशिक्षण एवं वित्तीय सहायता उपलब्ध कराने के साथ ही उनके उत्पादों को घर-घर तक पहुंचाने की भी व्यवस्था की जा रही है। स्वसहायता समूह की महिलाओं को स्वरोजगार के लिए मल्टी-यूटिलिटी सेंटर और गौठानों में जगह व संसाधन उपलब्ध कराए जा रहे हैं। बिहान की विभिन्न गतिविधियों से प्रदेश की महिलाओं को बड़ी संख्या में रोजगार मिल रहा है। आमदनी बढ़ने से परिवार की माली स्थिति अच्छी होने के साथ बच्चों की बेहतर परवरिश और पढ़ाई-लिखाई भी हो रही है।

छत्तीसगढ़ राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन द्वारा टिकाऊ (Sustainable) कृषि को बढ़ावा देने के लिए संचालित समुदाय आधारित संवहनीय कृषि परियोजना से बड़ी संख्या में महिलाओं को जोड़ा गया है। इसके माध्यम से तीन लाख 76 हजार महिलाएं खेती और पशुपालन कर रही हैं। इन कार्यों में सहायता और मार्गदर्शन के लिए 4110 कृषि सखी एवं 4052 पशु सखी को प्रशिक्षित किया गया है। महिला किसानों के उत्पादों के मूल्य संवर्धन एव विपणन के लिए पांच कृषक उत्पादक संगठन भी बनाए गए हैं। इनमें दस हजार 394 उत्पादकों को जोड़ा गया है। चालू वित्तीय वर्ष 2020-21 में इन संगठनों द्वारा अब तक कुल एक करोड़ 62 लाख रूपए का व्यवसाय किया जा चुका है।

बिहान द्वारा संचालित स्टार्ट-अप विलेज उद्यमिता कार्यक्रम SVEP से 7901 महिला उद्यमी स्वरोजगार कर रही हैं। इसके माध्यम से ईंट बनाने के काम में लगीं महिलाओं द्वारा अब तक पांच करोड़ 65 लाख ईंटों का निर्माण किया गया है। इन ईंटो का उपयोग प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत निर्माणाधीन मकानों और विभिन्न शासकीय भवनों में किया जा रहा है। मकान बना रहे ग्रामीण एवं निजी ठेकेदार भी इनसे ईंटों की खरीदी कर रहे हैं। प्रदेश भर में स्वसहायता समूहों की महिलाएं गौठानों में भी व्यापक स्तर पर रोजगारपरक गतिविधियों में लगी हुई हैं। बड़े पैमाने पर वर्मी कंपोस्ट के निर्माण के साथ वे बकरीपालन, मुर्गीपालन, मछलीपालन, सब्जियों की खेती जैसे कृषि से संबद्ध व्यवसाय के साथ ही रोजमर्रा के जीवन में उपयोग होने वाले उत्पादों जैसे साबुन, अगरबत्ती, दोना-पत्तल, गमला, दीया, गुलाल जैसी सामग्रियां बना रही हैं।

राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत गठित स्वसहायता समूहों की महिलाएं ईंट, सीमेंट पोल, पेवर-ब्लॉक और चैनल-लिंक फेंसिंग बनाने के साथ ही कैंटीन संचालन, सेनेटरी नैपकिन निर्माण, हस्त शिल्प, रेडी-टू-ईट निर्माण, हाट-बाजारों के संचालन, मछली पालन और सिलाई जैसे कार्यों में भी लगी हुई हैं। रायपुर जिले के सुरभि क्लस्टर की 50 महिलाओं ने नवा रायपुर की सड़कों की साफ-सफाई का काम लिया हुआ है। वे यहां की 75 किलोमीटर सड़कों की सफाई करती हैं। स्वसहायता समूहों की महिलाओं द्वारा तैयार उत्पादों की बिक्री के लिए राज्य एवं जिले के मुख्य बाजारों में 125 बिहान बाजारों की स्थापना की जा रही है। इनका संचालन समूह की महिलाएं खुद करेंगी।

बिहान से जुड़ी ग्रामीण महिलाओं के स्वरोजगार के लिए सर्वसुविधायुक्त मल्टी-यूटिलिटी सेंटर (एकीकृत सुविधा केंद्र) स्थापित किए गए हैं। विभिन्न जिलों में अब तक स्थापित ऐसे 13 केंद्रों में महिलाएं 90 तरह की आजीविकामूलक गतिविधियां संचालित कर रही हैं। इन केंद्रों में 145 समूहों की 1014 महिलाओं को रोजगार मिला हुआ है। चप्पल, एल.ई.डी. बल्ब, मास्क, जूट बैग, गारमेंट सिलाई, मोमबत्ती, अगरबत्ती, धूपबत्ती, पेंसिल, साबुन, वाशिंग पावडर, दोना-पत्तल, ट्री-गार्ड, बेकरी आइटम, मशरूम उत्पादन, मोती की खेती, लाख ज्वेलरी, चूड़ी-कंगन, फेस-शील्ड, मछलीपालन, नर्सरी, गमला, पेवर-ब्लॉक, फ्लाई-एश ब्रिक्स, चैन लिंक फेंसिंग, आरसीसी फेंसिंग, सीमेंट पोल, फिनाइल, बांस के समान, कोसा धागाकरण, हथकरघा, सब्जी उत्पादन, मसाला, गुलाल, हैंडवाश, सेनेटरी नैपकिन, पेपर फाइल, लिफाफा, बैग, राखी जैसे विविध उत्पाद वहां तैयार किए जा रहे हैं।

स्वसहायता समूहों की महिलाएं बैंक सखी के रूप में कार्य कर बैंकिंग सेवा की कमी वाले इलाकों में लोगों को नगद राशि उपलब्ध कराने का काम भी कर रही हैं। वे गांव-गांव में पहुंचकर मनरेगा मजदूरी, पेंशन और छात्रवृत्ति की राशि हितग्राहियों के हाथों तक पहुंचा रही हैं। बुजुर्गों और दिव्यांगों को उनके घर तक जाकर बैंक सखी रकम दे रही हैं। मनरेगा कार्यस्थलों पर जाकर भी वे मजदूरों को उनके खाते में आई मजदूरी का भुगतान करती हैं। प्रदेश भर में अभी 2069 बैंक सखी काम कर रही हैं। 1500 नई बैंक सखियों का चयन और प्रशिक्षण प्रक्रियाधीन है। कोरोना महामारी के दौरान 1 अप्रैल से 15 अगस्त 2020 तक बैंक सखियों द्वारा 13 लाख 57 हजार ट्रांजैक्शन्स कर 232 करोड़ 19 लाख रूपए का लेन-देन किया गया है। प्रदेश की 285 महिला समूह भी बैंक सखी की सेवाओं का उपयोग कर बैंकों से डिजिटल लेन-देन कर रही हैं।

स्वसहायता समूहों की महिलाएं प्रदेश में कोरोना प्रबंधन में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। कोरोना काल में विभिन्न समूहों की महिलाओं द्वारा निर्मित 47 लाख 14 हजार मास्क की बिक्री हुई है जिससे उन्हें पांच करोड़ 70 लाख रूपए मिले हैं। वहीं 19 हजार 615 लीटर सेनिटाइजर के विक्रय से महिला समूहों को 68 लाख 64 हजार रूपए प्राप्त हुए हैं। मास्क बनाने के काम में प्रदेश भर की 2274 समूहों की 8526 महिलाएं लगी हुई हैं। अलग-अलग जिलों की 68 महिला समूहों की 474 महिलाएं सेनिटाइजर बना रही हैं।

कोरोना काल में आंगनबाड़ी के बच्चों और गर्भवती महिलाओं तक पोषण आहार पहुंचाने में भी बिहान की महिलाओं ने सक्रिय सहयोग दिया है। ये महिलाएं आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के साथ मिलकर बस्तर जिले में 90 हजार 042 बच्चों तक नियमित रेडी-टू-ईट पहुंचा रही हैं। कोरिया, बलरामपुर-रामानुजगंज, बस्तर, कांकेर, दंतेवाड़ा और धमतरी जिलों में बिहान मार्ट के माध्यम से समूह की महिलाएं मास्क, राशन, हरी सब्जियां, दवाईयां इत्यादि की घर पहुंच सेवा उपलब्ध करा रही हैं। राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन से जुड़ी महिलाएं गांवों में कोरोना संक्रमण से बचाव के बारे में जन-जागरूकता फैलाने में भी जुटी हुई हैं। वे हाथ धुलाई के सही तरीके का प्रदर्शन कर, दीवार लेखन, रंगोली, व्हाट्स-अप इत्यादि के माध्यम से ग्रामीणों को लगातार जागरूक और शिक्षित कर रही हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *