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नई दिल्ली : खनौरी और शंभू बॉर्डर पर किसान बीते एक साल से आंदोलन कर रहे हैं। इस किसान संगठनों के साथ आज केंद्र सरकार के प्रतिनिधियों की मीटिंग होने वाली है। इस मीटिंग में एमएसपी पर गारंटी कानून समेत कई मसलों पर बात होने की संभावना है। इससे पहले किसानों ने लगातार तीन दिनों तक शक्ति प्रदर्शन किया है। शंभू बॉर्डर पर गुरुवार को किसानों ने एक बड़ी महापंचायत का आयोजन किया। यह मीटिंग किसान आंदोलन 2.0 के एक साल पूरा होने पर आयोजित की गई थी। इसके अलावा शुक्रवार को केंद्र सरकार से किसान संगठनों के प्रतिनिधियों की मीटिंग होनी है। माना जा रहा है कि सरकार पर मीटिंग से पहले दबाव बनाने के लिए हजारों किसानों का जुटान हुआ। इस महापंचायत में पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के हजारों किसानों ने हिस्सा लिया।

इस महापंचायत से पहले 11 तारीख को राजस्थान के रतनपुरा और फिर 12 तारीख को खनौरी बॉर्डर पर आयोजन हुआ था। गुरुवार को हुई महापंचायत में किसान नेता सरवन सिंह पंढेर ने कहा कि अब तक आंदोलन में बीते एक साल में 43 लोगों की मौत हो चुकी है। इसके अलावा 450 किसान जख्मी हो चुके हैं। इनमें से 35 किसान बुरी तरह से घायल हैं। बीते साल किसान आंदोलन के दौरान शुभकरण सिंह की मौत हो गई थी। उसकी बरसी पर किसान संगठनों ने बठिंडा के बल्लो गांव में 21 फरवरी को कार्यक्रम का ऐलान किया है। इस बीच किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल ने अपने अनशन के 80वें दिन के मौके पर कहा कि मैं अपने संकल्प पर अडिग हूं।

अभिमन्यु कोहर का कहना है कि शुक्रवार को होने वाली मीटिंग में जगजीत सिंह डल्लेवाल भी शामिल हो सकते हैं। सूत्रों का कहना है कि संयुक्त किसान मोर्चा के कुल 14 प्रतिनिधि केंद्र सरकार के साथ मीटिंग में हिस्सा लेंगे। इस मीटिंग में एमएसपी की लीगल गारंटी समेत कई मसले उठाए जा सकते हैं। किसान संगठनों ने तो लंबी लिस्ट तैयार की है। अब देखना होगा कि किन मसलों पर सहमति बन सकती है। किसान संगठनों का मुख्य जोर एमएसपी और स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू करने पर है। एक अहम डिमांड है कि किसानों के सारे कर्ज माफ कर दिए जाएं। इस मांग को लेकर केंद्र सरकार कुछ आंशिक ऐलान कर सकती है। जैसे छोटे किसानों को कर्ज से राहत दे दी जाए।

हालांकि दिल्ली विधानसभा चुनाव में जीत से केंद्र सरकार को किसानों के साथ वार्ता से पहले थोड़ी ताकत मिली है। किसान संगठन के सूत्रों का भी कहना है कि भाजपा को लोकसभा इलेक्शन, हरियाणा चुनाव और अब दिल्ली में जीत से ताकत मिली है। ऐसे में बातचीत में दबाव बनाना बहुत आसान नहीं होगा। जानकारी के अनुसार केंद्रीय प्रतिनिधियों का नेतृत्व प्रल्हाद जोशी करेंगें। यह मीटिंग चंडीगढ़ में होनी है। इस मीटिंग में पंजाब सरकार का कोई प्रतिनिधि नहीं रहेगा।