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बिलासपुर / 5 जनवरी 2025 (KRB24NEWS)

तुम हमें वोट दो; हम तुम्हें-लैपटॉप देंगे ..सायकल देंगे,स्कूटी देंगे ..हराम की बिजली देंगे.लोन माफ कर देंगे कर्जा डकार जाना, माफ कर देंगेये देंगे .. वो देंगे … वगैरह, वगैरह।क्या ये खुल्लम खुल्ला रिश्वत नहीं?क्या इससे चुनाव प्रक्रिया बाधित नहीं हो रही !!क्या इन सब प्रलोभनों से चुनाव निष्पक्ष होंगे?कोई चुनाव आयोग है भी कि नहीं इस देश में !आयोग की कोई गाइडलाइंस है भी या नहीं?वोट के लिए क्या आप कुछ भी प्रलोभन दे सकते हैं? – ये जनता की गाढ़ी कमाई का पैसा है इसकी जवाबदेही होनी चाहिये,रोकिए ये सब ..हम मध्यमवर्गीय तंग आ गए हैं, क्या हम इन सबके लिए भर-भर कर टैक्स चुकाते रहें?डिफाल्टर की कर्जमाफी… फोकट की स्कूटी…हराम की बिजली… हराम का घर… दो रुपये किलो गेंहू… एक रुपया किलो चावल… चार से छह रुपये किलो दाल… और कितना चूसोगे टेक्स दाताओं को? क्योंकि ! वे तुम्हारे आका हैं! गरीब हैं, थोकिया वोट बैंक हैं, इसलिए फोकट खाना, घर, बिजली, कर्जा माफी दिए जा रहे हैं, बाकी लोग किस बात की सजा भोगें ?जबकि होना ये चाहिये कि हमारे टैक्स से सर्वजनहिताय काम हों, देश के विकास का काम हों, रेल मार्ग, सड़कें, पुल दुरुस्त हों, रोजगारोन्मुखी कल कारखानें हों, विकास की खेती लहलहाती हो, तो सबको टैक्स चुकाना अच्छा लगता.. ।लेकिन आप तो देश के एक बहुत बड़े भाग को शाश्वत गरीब ही बनाए रखना चाहते हो। उसके लिए रोजगार सृजन के अनूकूल परिस्थिति बनाने की बजाए आप तथाकथित सोशल वेलफेयर की खैराती योजनाओं के माध्यम से अपना अक्षुण्ण वोट बैंक स्थापित कर रहे हो।चुनाव आयोग एवं सर्वोच्च न्यायालय से निवेदन हैं कि कर्मशील देश के बाशिन्दों को तुरंत कानून लाकर कुछ भी फ्री देने पर बंदिश लगाई जाए ताकि देश के नागरिक निकम्मे व निठल्ले न बने।पूर्व प्रधानमंत्री स्व. अटलजी कहा करते थे, कि जनता को सिर्फ न्याय, शिक्षा व चिकित्सा के अलावा और कुछ भी मुफ्त में नहीं मिलनी चाहिए। तभी देश का विकास संभव है।