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शिमला 2 अक्टूबर ( KRB24NEWS ) : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शनिवार को हिमाचल प्रदेश के रोहतांग में दुनिया की सबसे लंबी अटल सुरंग (टनल) का उद्घाटन करेंगे। यह दुनिया की सबसे लंबी राजमार्ग सुरंग है। अटल सुरंग मनाली और लेह के बीच की दूरी को 46 किलोमीटर तक कम करती है और यात्रा के समय को भी चार से पांच घंटे कम कर देती है। यह 9.02 किलोमीटर लंबी सुरंग है, जो कि मनाली को पूरे साल लाहौल-स्पीति घाटी से जोड़े रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।
हिमालय की पीर पंजाल श्रेणी में आधुनिक तकनीक के साथ किया गया निर्माण
इन टनल के निर्माण में करीब साढ़े तीन से चार हजार करोड़ रुपये खर्च हुए हैं। 10 हजार फीट पर स्थित इस टनल को बनाने में करीब दस साल का वक्त लगा है। इसके बनने से सबसे ज्यादा फायदा लद्दाख में तैनात भारतीय जवानों को मिलेगा। क्योंकि इसके चलते सर्दियों में भी हथियार और रसद की आपूर्ति आसानी से हो सकेगी। इससे पहले लाहौल-स्पीति घाटी हर साल लगभग 6 महीने तक भारी बर्फबारी के कारण अन्य हिस्सों से कट जाती थी। सुरंग को समुद्र तल से 3,000 मीटर (10,000 फीट) की ऊंचाई पर हिमालय की पीर पंजाल श्रेणी में आधुनिक तकनीक के साथ बनाया गया है।
हर 1 किलोमीटर में हवा की क्वालिटी जांच, और भी हैं कई इंतजाम
इस टनल में हर रोज तीन हजार कार और डेढ़ हजार ट्रक गुजर सकेंगे। टनल के भीतर 80 किलोमीटर प्रति घंटा की अधिकतम रफ्तार तय की गई है। टनल के भीतर सेमी ट्रांसवर्स वेंटिलेशन सिस्टम होगा। यहां किसी भी आपात स्थिति से निपटने की तमाम व्यवस्था भी की गई है। टनल के भीतर सुरक्षा पर भी खास ध्यान दिया गया है। दोनों ओर एंट्री बैरियर रहेंगे। हर 150 मीटर पर आपात स्थिति में संपर्क करने की व्यवस्था होगी। हर 60 मीटर पर आग बुझाने का संयंत्र होगा। इसके अलावा हर 250 मीटर पर दुर्घटना का स्वयं पता लगाने के लिए सीसीटीवी का इंतजाम भी किया गया हैं। यहां हर एक किलोमीटर पर हवा की क्वालिटी जांचने का भी इंतजाम है।
इस टनल को बनाने का एतिहासिक फैसला तीन जून 2000 को लिया गया था, जब अटल बिहारी वाजपेयी देश के प्रधानमंत्री थे। 26 मई 2002 को इसकी आधारशिला रखी गई थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 24 दिसंबर 2019 को इस टनल का नाम दिवंगत प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नाम पर अटल टनल रखने का फैसला किया था।
दुनिया की सबसे लंबी हाइवे टनल का श्रेय
अटल सुरंग लाहौल के निवासियों के लिए एक वरदान होगा, जो भारी बर्फबारी की वजह से लगभग छह महीने तक देश के बाकी हिस्सों से कटा रहता है। यह महत्वाकांक्षी अटल सुरंग, लेह और लद्दाख के आगे के क्षेत्रों को हर मौसम में कनेक्टिविटी प्रदान करेगी। यह अटल टनल दुनिया की सबसे लंबी हाइवे टनल है। इसमें हर 60 मीटर की दूरी पर CCTV कैमरे लगाए गए हैं। साथ ही इस टनल के अंदर 500 मीटर की दूरी पर इमर्जेंसी एग्जिट भी बनाए गए हैं।
प्रधान मंत्री अटल बिहारी वायपेयी द्वारा तीन जून 2000 को उस परियोजना की घोषणा की गई थी। वहीं इसके निर्माण की जिम्मेदारी सीमा सड़क संगठन (BRO ) को सौंपी गई थी। इसे बनाने में BRO के इंजीनियरों और कर्मचारियों को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा था। क्योंकि सर्दियों में यहां पर काम करना काफी मुश्किल हो जाता था। बता दें कि इस सुरंग को बनाने के लिए 8 लाख क्यूबिक मीटर पत्थर और मिट्टी निकाली गई।
टनल से रोजाना 5 हजार वाहन गुजरेंगे
अटल टनल प्रोजेक्ट की लागत 2010 में 1,700 रुपये से बढ़कर सितंबर 2020 तक 3,200 करोड़ रुपये हो गई। यह सुरंग करीब 8.8 किलोमीटर लंबी है और दस मीटर चौड़ी है। इस टनल से 80 किमी प्रतिघंटे की गति से रोजाना 5000 वाहन गुजर सकते हैं। एक बार में इसके अंदर 3000 कारें या 1500 ट्रक एक साथ निकल सकते हैं। अटल टनल के अंदर अत्याधुनिक ऑस्ट्रेलियन टनलिंग मेथड का उपयोग किया गया है। साथ ही वेंटिलेशन सिस्टम भी ऑस्ट्रेलियाई तकनीक पर आधारित है। इस टनल की डिजाइन बनाने में DRDO ने भी मदद की है, जिससे बर्फ और हिमस्खलन से इस पर कोई असर न पड़े। टनल के अंदर हर 200 मीटर की दूरी पर एक फायर हाइड्रेंट की व्यवस्था की गई है, जिससे आग लगने की स्थिति में नियंत्रण पाया जा सके।
लेह तक जाने में समय की होगी बचत
वहीं इस सुरंग का निर्माण करते वक्त कई चीजों का काफी ध्यान रखा गया है। यहां पर सीसीटीवी तो लगाए ही गए हैं, साथ ही किसी भी तरह की बुरी घटना से बचने के लिए फाइटरक हाइड्रेंट लगाए गए हैं। इसकी चौड़ाई 10.5 मीटर है. इसमें दोनों ओर एक-एक मीटर के फुटपाथ भी बनाए गए हैं। मनाली से लेह तक जाने में ये सुरंग काफी समय बचाएगी। इसके जरिए मनाली से लेह के बीच 46 किलोमीटर की दूरी कम हो गई है। इस टनल के जरिए पहाड़ों पर लगने वाले जाम से बचा जा सकेगा।