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संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) ने मंगलवार को ‘एक देश, एक चुनाव’ विधेयक के खिलाफ बयान देते हुए इसे राज्य सरकारों के संघीय अधिकारों को समाप्त करने और एक ‘कॉर्पोरेट एजेंडा’ को लागू करने का प्रयास बताया। एसकेएम ने आरोप लगाया कि इस विधेयक का उद्देश्य देश में एक केंद्रीकृत बाजार बनाना है, जो किसानों और श्रमिकों के लिए अनुकूल नहीं होगा। उन्होंने देश के लोगों से इस विधेयक के खिलाफ एकजुट होने की अपील की है।
‘एक देश, एक बाजार’ मॉडल लागू करने का हिस्सा
एसकेएम ने ही 2020-21 में कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर हुए बड़े किसान विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व किया था। एसकेएम ने अपने एक बयान में कहा कि सरकार का यह कदम कामकाजी लोगों के शोषण को बढ़ावा देने के लिए एक ‘एक देश, एक बाजार’ मॉडल लागू करने का हिस्सा है। एसकेएम ने यह भी आरोप लगाया कि यह विधेयक देश के संघीय ढांचे और संसदीय लोकतांत्रिक प्रणाली को कमजोर करेगा।
एसकेएम के बयान में यह भी कहा गया कि देश में अन्य कई प्रमुख नीति परिवर्तनों जैसे वस्तु एवं सेवा कर (GST), डिजिटल कृषि मिशन, राष्ट्रीय सहयोग नीति और कृषि बाजार पर नीति ढांचे का उद्देश्य कॉर्पोरेट शक्तियों को प्रोत्साहन देना है। इस दृष्टिकोण के तहत कृषि उत्पादन, प्रसंस्करण और विपणन को केंद्रीकरण की योजना बनाई जा रही है, जिससे छोटे और मझले किसान प्रभावित हो सकते हैं।
“देश के लोकतांत्रिक और संघीय ढांचे पर गंभीर प्रभाव पड़ेगा”
एसकेएम ने यह भी कहा कि लोकसभा में प्रस्तुत विधेयक राज्य सरकारों की स्वायत्तता और संघीय अधिकारों को समाप्त करने के उद्देश्य से लाया जा रहा है। संगठन ने चेतावनी दी कि अगर यह विधेयक पारित होता है, तो देश के लोकतांत्रिक और संघीय ढांचे पर गंभीर प्रभाव पड़ेगा।
इस विधेयक को मंगलवार को लोकसभा में पेश किया गया, लेकिन इसके खिलाफ विपक्षी दलों द्वारा भारी विरोध दर्ज कराया गया। सरकार ने स्पष्ट किया कि इस विधेयक पर व्यापक विचार-विमर्श के लिए इसे संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के पास भेजा जाएगा, ताकि इस मुद्दे पर सभी पक्षों की राय ली जा सके।