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कोलकाता: केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) ने शुक्रवार को कोलकाता के आरजी कर अस्पताल की वित्तीय अनियमितताओं के संबंध में आरोपपत्र दाखिल किया, जिसमें उसने चिकित्सा प्रतिष्ठान के पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष को मुख्य आरोपी बनाया है. हालांकि इस आरोप पत्र को अदालत ने स्वीकार नहीं किया है. 

जांच एजेंसी के एक अधिकारी ने बताया कि एजेंसी ने 100 पन्नों के आरोपपत्र में चार अन्य लोगों के नाम भी शामिल किए हैं, जिन्हें अनियमितताओं में कथित संलिप्तता के लिए गिरफ्तार किया गया था.

सीबीआई के अधिकारी ने पीटीआई को बताया कि, ‘‘घोष (जिन्हें निलंबित कर दिया गया है) के अलावा आरोपपत्र में अन्य चार गिरफ्तार आरोपियों – बिप्लब सिंह, अफसर अली, सुमन हाजरा और आशीष पांडे के नाम शामिल हैं. सीबीआई ने मामले की जांच के समर्थन में कम से कम 1,000 पन्ने भी संलग्न किए हैं.”

हालांकि, अलीपुर में स्थित विशेष सीबीआई अदालत ने आरोपपत्र स्वीकार नहीं किया, क्योंकि राज्य सरकार के किसी भी कर्मचारी के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल करने के लिए आवश्यक आधिकारिक मंजूरी नहीं मिल पाई थी.

अधिकारी ने कहा कि, “पश्चिम बंगाल सरकार को अदालत में पेश किए जाने से पहले अपने कर्मचारी के नाम वाली चार्जशीट को मंजूरी देने की जरूरत है. इस मामले में अभी तक मंजूरी नहीं मिली है. घोष और पांडे दोनों ही सरकारी अस्पताल के डॉक्टर हैं.” 

आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में वित्तीय अनियमितताओं के सिलसिले में घोष को 2 सितंबर को गिरफ्तार किए जाने के लगभग तीन महीने बाद चार्जशीट दाखिल की गई थी. अगस्त में सेमिनार रूम में एक ऑन-ड्यूटी पीजी डॉक्टर का शव मिलने के बाद यह मामला देश भर में सुर्खियों में आया था.

आरोप है कि अस्पताल में वित्तीय धोखाधड़ी तीन साल से भी ज़्यादा समय से चल रही थी. इस दौरान अस्पताल के लिए मेडिकल उपकरण खरीदते समय टेंडर में धांधली की गई और घोष ने कथित तौर पर अपने करीबी सहयोगियों को टेंडर हासिल करने में मदद की.