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कर्नाटक के दावणगेरे में भगवान गणेश की प्रतिमा विसर्जन के दौरान पथराव की घटना सामने आई है। हालांकि मौके पर मौजूद पुलिस ने हालात पर नियंत्रण पा लिया। दरअसल बुधवार की शाम जब वेंकटभावी गणपति के विसर्जन का जुलूस चामराजपेट सर्कल के पास से गुजर रहा था। इस दौरान वहां पथराव शुरू हो गया। दोनों तरफ से पत्थरबाजी की गई। पुलिस के मुताबिक, पत्थरबाजी की ये घटना करीब 3 मिनट तक चली, जिसके बाद दोनों समुदायों के कुछ लोगों ने समझाइश कर इस घटना को रोक दिया। मौके पर मौजूद पुलिसकर्मियों ने फौरन एक्शन लेते हुए हालात पर काबू पा लिया और भगवान गणेश के जुलूस को आगे ले जाने का रास्ता बनाया, जिसके बाद भगवान गणेश का विसर्जन कर दिया गया।
मूर्ति विसर्जन के दौरान पत्थरबाजी
बता दें कि पत्थरबाजी की घटना के बाद पुलिस ने एहतियातन पुलिस बल की तैनाती बढ़ा दी। इलाके में निषेधाज्ञा लगाने पर भी चर्चा हो रही है। इस घटना के लिए जिम्मेदार आरोपियों की पहचान की जा रही है। पुलिस के मुताबिक हर साल इसी रास्ते से भगवान गणेश का जुलूस निकलता था। कोई भी परेशान नहीं होती थी। लेकिन बुधवार को दोनों ही समुदाय के कुछ लोगों ने सोशल मीडिया पर एक दूसरे के खिलाफ टिप्पणी की थी, जिसके चलते ये घटना देखने को मिली। इसे लेकर दावणगेरे के एसपी उमा प्रशांत ने कहा कि वेंकटभावी गणेश विसर्जन का कार्यक्रम तय था। सब कुछ ठीक चल रहा था, जब जुलूस चामराज पेट सर्कल के पास पहुंचा तो दो-तीन मिनट पर पत्थरबाजी हुई। मौके पर मौजूद पुलिस ने तुरंत स्थिति को नियंत्रित कर लिया।
एसपी ने कहा- कर रहे हैं जांच
एसपी ने कहा कि गणपति का विसर्जन पूरा हो गया है। हम जांच कर रहे हैं कि वास्तव में पत्थर किसने फेंके। पुलिस की टीमें इसपर काम कर रही है। स्थिति पूरी तरह से नियंत्रण में है। वहां मौजूद सभी पुलिसकर्मियों को यह पता लगाने का काम दिया गया है कि इसके पीछे कौन लोग हैं। हम निषेधाज्ञा लागू करने की योजना बना रहे हैं। हमने डीसी से इस बारे में चर्चा की है। उन्होंने कहा, ऐसा लगता है कि सोशल मीडिया पर भड़काऊ भाषण पोस्ट किया गया था, इस पत्थरबाजी की घटना के पीछे यही कारण हो सकता है। लोगों की पहचान की जा रही है जिन्होंने माहौल खराब करने की कोशिश की। बता दें कि हर साल वेंकटभावी गणपति जुलूस इसी रास्ते से निकलता है। इस साल भी इसी रास्ते के लिए अनुमति दी गई थई। लेकिन कुछ असमाजिक तत्वों ने माहौल खराब करने की कोशिश की।