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विश्वकर्मा, भगवान ब्रह्मा के पुत्र और प्रथम शिल्पकार और वास्तुकार माने जाते हैं। विश्वकर्मा जयंती के दिन इनकी विधि-विधान से पूजा की जाती है। खासकर करियर-कारोबार में इनकी पूजा करने से लाभ की प्राप्ति होती है। माना जाता है कि विश्वकर्मा ने प्राचीन समय में खूबसूरत भवनों, अस्त्र-शस्त्रों आदि का निर्माण किया था। इनकी पूजा आराधना करने से आपको भी करियर और कारोबार के क्षेत्र में उन्नति प्राप्त होती है। आइए ऐसे में जान लेते हैं कि विश्वकर्मा भगवान की पूजा में क्या चीजें आपको अवश्य रखनी चाहिए, जिससे विश्वकर्मा पूजन का शुभ फल आपको प्राप्त हो सके।
विश्वकर्मा पूजा
विश्वकर्मा जयंती या विश्वकर्मा पूजा के दिन कारीगर अपने उपकरणों, मशीनों आदि की पूजा करते हैं। भारत में कई संस्थानों में इस दिन औजारों का इस्तेमाल नहीं किया जाता, क्योंकि विश्वकर्मा जयंती के दिन इन मशीनों और औजारों की पूजा की जाती है। इस दिन विधि-विधान से विश्वकर्मा भगवान के साथ ही औजारों की पूजा करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है। आइए अब जान लेते हैं कि इस दिन विश्वकर्मा पूजा के दौरान आपको किन चीजों को पूजन के में शामिल करना चाहिए।
विश्वकर्मा पूजा में जरूर शामिल करें ये चीजें
- विश्वकर्मा पूजा के भगवान विश्वकर्मा की एक तस्वीर
- सुपारी, अष्टगंध, हल्दी, लौंग, मौली, पीला कपड़ा,जटा वाला नारियल
- रंगोली या फूल, पूजा स्थान को सजाने के लिए
- दीपक, घी या तेल
- धूपबत्ती या अगरबत्ती के लिए
- पूजा के लिए फूल, पत्ते, और फल
- प्रसाद के लिए मिष्ठान
- अक्षत, आम की लकड़ी, दही, हवन सामग्री (अगर हवन करने वाले हैं)
- पूजा के लिए एक थाली या प्लेट
विश्वकर्मा जयंती के दिन आप घर पर भी विश्वकर्मा भगवान की पूजा आराधना कर सकते हैं, और साथ ही अपने कार्यस्थल पर भी पूजा कर सकते हैं। इस दिन आप कार्यस्थल पर अपने औजरों की पूजा करके भगवान विश्वकर्मा का आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं। ऐसा करना आपकी रचनात्मकता और योग्यता को भी बढ़ाता है। करियर के क्षेत्र में आपको जो परेशानियां आ रही हैं वो भी भगवान विश्वकर्मा की पूजा से दूर हो सकती हैं।
विश्वकर्मा पूजा विधि
भगवान विश्वकर्मा को प्रसन्न करने के लिए आपको सबसे पहले पूजा स्थल पर उनकी प्रतिमा स्थापित करनी चाहिए। इसके बाद पुष्प, चंदन, रोली, अक्षत उन्हें अर्पित करना चाहिए। तत्पश्चात धूप, दीप दिखाकर विश्वकर्मा भगवान का ध्यान करना चाहिए। इसके बाद विश्वकर्मा चालीसा, का पाठ आप कर सकते हैं। अंत में आरती करने चाहिए और भगवान को मिष्ठान का भोग लगाना चाहिए। पूजा के अंत में प्रसाद का वितरण आपको पूजा में शामिल सभी लोगों में करना चाहिए।