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केंद्र की मोदी सरकार ने केंद्रीय विद्यालयों में एडमिशन में सांसदों के अलावा बाकी सब कोटा खत्म करने का फैसला किया है. अब केंद्रीय शिक्षा मंत्री के पास भी बतौर सांसद ही 10 कोटा बचेगा उनके मंत्रालय को मिला भारी-भरकम कोटा छीन लिया गया है.
नई दिल्ली : केंद्रीय विद्यालयों में अब मंत्री या किसी अन्य नेता की पैरवी पर एडमिशन नहीं हो सकेगा. चौंकिए मत! ऐसा हम नहीं कह रहे, ये फैसला खुद केंद्र सरकार ने किया है. इस फैसले के तहत अब सिर्फ सांसदों के पास ही अपने क्षेत्र में 10 एडमिशन कराने का अधिकार बचे हैं.
केंद्र सरकार ने केंद्रीय विद्यालयों में एडमिशन में सांसदों के अलावा बाकी सब कोटा खत्म करने का फैसला किया है. मतलब साफ है कि अब केंद्रीय शिक्षा मंत्री के पास भी बतौर सांसद ही 10 एडमिशन की सीट बचेगी और उनके मंत्रालय को मिला भारी-भरकम कोटा छीन लिया गया है.
केंद्रीय विद्यालय
इस फैसले से सांसदों को अवगत करा दिया जा रहा है जिससे कि वह अपने कोटे के अनुसार ही पैरवी कर सकें. वहीं, राज्यसभा सांसद भी अपने राज्य के किसी भी केंद्रीय विद्यालय में अधिकतम 10 बच्चों का एडमिशन करा सकते हैं.
यूपीए-2 सरकार में भी हुआ था ऐसा फैसला
साल 2010 में यूपीए-2 सरकार में जब कपिल सिब्बल के एचआरडी रहने के दौरान भी ऐसा हुआ था. हालांकि संसद के अंदर और बाहर सांसदों के विरोध पर दो महीने के भीतर ही यह फैसला वापस लेना पड़ा. तब सांसदों का कोटा तो बहाल कर दिया गया, लेकिन मिनिस्टर का कोटा बहाल नहीं किया गया. पहले इस कोटे के अलावा शिक्षा मंत्री 450 नामांकन की पैरवी कर सकते थे और ये पैरवी भी किसी नेता या सांसद के जरिए मंत्रालय तक आती थी.
हालांकि, 2014 में मोदी सरकार सत्ता में आई और स्मृति ईरानी को मानव संसाधन विकास मंत्रालय मिला तो उन्होंने केंद्रीय विद्यालय में एडमिशन के लिए मंत्री का कोटा बहाल कर दिया