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शारदा पाल, कोरबा/पोंडी उपरोड़ा 15 जून : नियम कायदों को दर किनार कर धड़ल्ले से जिले में हाइब्रिड बीज व रासायनिक खाद की बिक्री हो रही है. जिसे मर्जी वह खाद बीज व रसायन बेच रहा है जिले में ग्रामीण क्षेत्रों में चोटिया से लेकर कोरबी और मोरगा क्षेत्र के ग्रामीण क्षेत्रों में किराना दुकानों में बगैर लाइसेंस के दुकान संचालक मनमाने कीमत पर किसानों को खाद और बीज बेच रहे हैं, वहीं कई दुकानदारों ने जिले के गांवों में अपने एजेंट फैला रखे हैं. अब विभाग ने अवैध दुकान संचालकों के खिलाफ जांच का अभियान शुरू किया है.

जिले में मानसून ने दस्तक दे दी है. किसान खेती की तैयारियों में जुट गए हैं. खेतों में पर्याप्त पानी हो जाने से वे अब खेतों की जुताई और बोनी कर रहे हैं. किसानों की जरूरतों को देखते हुए जिले भर के हर छोटे-बड़े नगर व ग्रामीण क्षेत्रों में खाद व बीज की दुकानें भी लग चुकी है दुकानों में हाइब्रिड बीज किसानों को आसानी से मिल रहा है जिससे वे दोगुने से तीन गुने तक उत्पादन का लाभ ले सकते हैं. यही नहीं अत्यंत जहरीले कीटनाशक व रासायनिक खाद से बाजार अटा पड़ा है. विडंबना है कि कृषि विभाग ने जिले में जितने लोगों को खाद-बीज बिक्री के लिए लाइसेंस दिया है. उसके दोगुने से ज्यादा दुकानें यहां संचालित हो रही है. रासायनिक खाद व हाईब्रीड बीज सिर्फ सैकड़ों अवैध दुकानों से नहीं बल्कि किराना की दुकान व हाट बाजारों में तिरपाल के नीचे भी खुले में बेचे जा रहे हैं. इस पर निगरानी रखने वाला कोई नहीं है. अवैध दुकानों के संचालन पर अबतक कृषि विभाग ने एक भी कार्रवाई नहीं की है. इसका लाभ व्यापारी व विभिन्न कंपनियों के एजेंट उठा रहे हैं

अधिक कीमत पर बेच रहे खाद-बीज

अवैध रूप से खाद-बीज दुकान संचालक किसानों से मनमानी कीमत वसूल कर रहे हैं. जिले की सहकारी समितियों में इफको खाद तो है. पर इफको खाद जहां लाइसेंसी दुकानदार Rs.1185 में बिक्री कर रहे हैं, वहीं बिना लाइसेंस के दुकान चलाने वाले इसी खाद को 13 सौ रुपए में बेच रहे हैं. इसी तरह डीएपी खाद को लाइसेंसी दुकानदार 1200 एवं बिना लाइसेंसी दुकानदार Rs.1350 तक बेच रहे हैं. इसके अलावा धान बीज को लाइसेंसी दुकानदार Rs.750 में एवं बगैर लाइसेंसी दुकानदार Rs.900 तक बेच रहे हैं.

विभाग नहीं रख रहा निगरानी

अवैध रूप से चलने वाले खाद व बीजों के दुकानों की निगरानी कृषि विभाग नहीं कर रहा है. रासायनिक खाद बेचने के लिए लाइसेंस प्राप्त करने की प्रक्रिया लंबी है. हर वह व्यक्ति जो कि दुकान संचालित करता है वह लाइसेंस प्राप्त नहीं कर सकता है. इसके बावजूद लोग खाद-बीज की दुकान चला रहे हैं. ऐसा नहीं कि जिले में संचालित इतने अधिक दुकानों की जानकारी कृषि विभाग को नहीं है. विभाग के फील्ड कर्मचारी से लेकर अधिकारियों को भी ऐसी दुकानों की जानकारी है, पर विभाग अब तक ऐसी अवैध दुकानों पर कोई कार्रवाई नहीं कर रहा है.

लाइसेंस के लिए बीएससी एग्रीकल्चर का अनिवार्य

रासायनिक खाद व हाईब्रीड बीच की बिक्री के लिए लाइसेंस उन्हीं को दिया जाता है जो कि बीएससी एग्रीकल्चर या बीएससी रसायन शास्त्र की डिग्री ले चुका है. कृषि को बढ़ावा देने और किसानों की खेत की रक्षा के उद्देश्य से शासन ने यह मापदंड तय किया है। पर इन मापदंडों की परवाह यहां किसी को नहीं है. बीएससी एग्रीकल्चर करने वाला व्यक्ति नौकरी में जाना पसंद करता है. जो पहले से दुकान चला रहे हैं वे सिर्फ लाइसेंस प्राप्त करने के लिए इस डिग्री की पढ़ाई करना उचित नहीं समझते. क्षेत्र में विभिन्न नई कंपनियों के खाद-बीज भी आ रहे हैं. कंपनियों के एजेंट गांव के दुकानों में जाकर अपना माल बेच रहे हैंं और दुकानदार इसे किसानों को थमा रहे हैं.

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