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कोरोना वायरस के मामलों में अचानक वृद्धि से अस्पताल के बेड, ऑक्सीजन सिलेंडर और अन्य चिकित्सा सुविधाओं की भारी कमी हो गई है. छत्तीसगढ़ की ऊर्जाधानी कहे जाने वाले कोरबा में कई बारे निजी, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम हैं. इसके बावजूद यहां अस्पतालों में कोविड इलाज के लिए पर्याप्त संसाधन मौजूद नहीं हैं. जिससे मरीजों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.
कोरबा 13 मई (KRB24NEWS) : कोराना का संक्रमण बेकाबू हो रहा है. लगातार मरीजों की संख्या बढ़ रही है. जिससे संसाधनों की कमी का सामना निजी और सरकारी अस्पतालों में करना पड़ रहा है. मरीजों को बेहतर उपचार देने के लिए जिन उपकरणों की आवश्यकता है. उनकी कमी के कारण चिकित्सक परेशान हो रहे हैं.
कोरबा जिले में निजी और सरकारी मिलाकर 13 कोविड अस्पताल हैं. इन सभी अस्पतालों में मूलभूत अधोसंरचना के साथ ही आवश्यक संसाधन तो उपलब्ध हैं, लेकिन कुछ ऐसी आधुनिक मशीनें अब भी सभी स्थानों पर मौजूद नहीं हैं, जिनकी कोविड-19 के इलाज में बेहद महत्वपूर्ण भूमिका रहती है. संसाधनों को जुटाकर अस्पतालों की व्यवस्था को और भी सुदृढ़ किए जाने की आवश्यकता है.
केवल 2 अस्पताल में सीटी स्कैन मशीन
जिले में निजी अस्पताल NKH और सरकारी बालाजी कोविड अस्पताल में ही सीटी स्कैन की सुविधा उपलब्ध है. जबकि जिले में 13 कोविड अस्पताल संचालित हो रहे हैं. ऐसे में जब किसी मरीज को सीटी स्कैन कराना होता है. तो उन्हें एंबुलेंस के जरिए NKH या फिर बालाजी कोविड अस्पताल लाना पड़ता है. इसमें काफी समय भी बर्बाद होता है. संसाधन और वैसे भी लग जाते हैं. जबकि कोविड-19 के इलाज में सीटी स्कैन की महत्वपूर्ण भूमिका है. कई बार RT-PCR टेस्ट के जरिए भी कोरोना मरीज की रिपोर्ट नेगेटिव मिलती है. ऐसे में सीटी स्कैन से पता लगाया जा सकता है कि इसके मरीज के फेफड़ों में कितना इन्फेक्शन फैला है. इसके आधार पर ही आगे ट्रीटमेंट मरीज को दिया जाता है.
साल भर बाद भी सिपेट में व्यवस्था नहीं बढ़ी
कोरोना की पहले लहर ने जब जिले में दस्तक दी थी. तब स्याहीमुड़ी स्थित सिपेट को आइसोलेशन सेंटर बनाया गया था. यहां उन मरीजों को रखा जाता था, जिनमें कोरोना के कोई लक्षण नहीं थे और घर पर आइसोलेट होने की व्यवस्था भी नहीं थी. देखते-देखते कोरोना की दूसरी लहर आ गई, लेकिन सिपेट की व्यवस्थाएं नहीं बढ़ाई गईं. यहां 1000 बेड मौजूद हैं. लेकिन सुविधाओं का विस्तार नहीं हो पाया है. दूसरी लहर में जब मरीज बढ़ने लगे. तब आनन-फानन में यहां हाल ही में 168 बेड को ऑक्सीजन युक्त किया गया है. इसके अलावा अन्य कोई सुविधा यहां नहीं है.
करोड़ों कमाने वाले औद्योगिक उपक्रमों ने भी नहीं बढ़ाई सुविधा
कोरबा को प्रदेश के ऊर्जाधानी कहा जाता है. यहां बालको, NTPC, SECL, CSEB जैसे बड़े उपक्रम मौजूद हैं. NTPC ने कोरबा जिले में केवल 31 बेड का एक कोविड अस्पताल बनाया है. जिसमें से मात्र 15 ऑक्सीजन युक्त बेड हैं. जबकि 2 बेड आईसीयू वाले हैं. सीटी स्कैन और सोनोग्राफी तक की सुविधा यहां मौजूद नहीं है. NTPC के बाहर से आने वाले मरीजों का पैथोलॉजी टेस्ट भी नहीं किया जाता. बालकों के कोविड अस्पताल में 46 बेड, SECL में 30 बेड और CSEB में 39 बेड हैं. सुविधाओं के नाम पर औद्योगिक उपक्रम के अस्पताल बेहद पिछड़े हुए हैं. जबकि कोरबा जिले से करोड़ों की कमाई करते हैं और यहीं से सुविधाएं देशभर में पहुंचाते हैं.
इस तरह के उपकरणों की होती है जरूरत
कोविड-19 के इलाज के लिए सबसे जरूरी होता है टेस्ट. रैपिड एंटीजन तो सभी स्थानों पर मौजूद है. लेकिन ट्रू नोट और RT-PCR की सुविधा बेहद सीमित है. RT-PCR की सुविधा फिलहाल जिले में नहीं है. ट्रू नॉट दो स्थानों पर हो रहा है. वहीं सीटी स्कैन मशीन दो स्थानों पर है. ऑक्सीजन युक्त बेड लगभग सभी अस्पतालों पर मौजूद हैं. वहीं ऑक्सीजन कंसंट्रेटर, ऑक्सीजन पहुंचाने के लिए सेंट्रलाइज सिस्टम, वेंटिलेटर, एनआईबी वेंटिलेटर, सीटी स्कैन और पैथोलॉजी लैब की सुविधा सभी अस्पतालों में होनी चाहिए. जो कि नहीं है.