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पाली 23 अप्रैल – औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान (आईटीआई )पाली परिसर में आज “जीवन विद्या संवाद सभा” का सफल आयोजन हुआ, जिसमें पाली आई टी आई के प्रशिक्षार्थी एवं शहर के आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों से आए 100 से अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया। जीवन विद्या केंद्र, पाली के तत्वावधान में आयोजित यह सभा प्रातः 10 बजे से दोपहर 2 बजे तक चली और सामाजिक समरसता, मानव मूल्यों तथा प्रकृति के साथ संतुलन विषयों पर गंभीर विचार-विमर्श हुआ।
इस संवाद सभा में मध्यस्थ दर्शन (सह-अस्तित्ववाद) के अध्येता श्री अंकित पोगुला, मानव तीर्थ, किरीतपुर (बेमेतरा) ने अपने प्रबोधन में सरल ढंग से मानव लक्ष्य को स्पष्ट करते हुए मानव की भौतिक और मानसिक आवश्यकता पर विशेष प्रकाश डाला| उन्होंने प्रतिभागियों से परिचर्चा करते हुए जीवन में इन्द्रिय सुख , व्यावहारिक सुख और अध्यात्मिक सुख पर चर्चा करते हुए बताया की भौतिक इन्द्रिय सुख क्षणिक, व्यवहारिक सुख दीर्घ परिनान्मी तथा अध्यात्मिक सुख निरंतर है | मानव की चाहना निरंतर सुख की है लेकिन क्षणिक सुख के लिए किये गए अधूरे प्रयास के कारण निरंतर सुख पाना संभव नहीं हो पा रहा है | विकास और आधुनिकता की दौड़ में मानवीय रिश्तों और प्रकृति के साथ संबंधों में असंतुलन आ गया है।

व्यावहारिक दृष्टिकोण को मिली प्राथमिकता
सभा में श्री पोगुला ने बताया कि जीवन विद्या मध्यस्थ दर्शन सह अस्तित्व वाद पर आधारित है जिसके प्रणेता श्री ए. नागराज जी हैं | जीवन विद्या का उद्देश्य किसी वाद समप्रदाय या मत को बढ़ावा देना नहीं, बल्कि मानव जीवन की वास्तविकताओं को समझते हुए एक संतुलित और व्यावहारिक जीवन दृष्टि की ओर बढ़ना है। उन्होंने यह भी रेखांकित किया कि वास्तविकता को जैसा है वैसा जानना ही समझदारी है न की मान्यताओ के आधार पर मानना |
उत्साहजनक भागीदारी और संवाद
सभा में आईटीआई के प्रशिक्षार्थियों, पाली नगर के जनप्रतिनिधियों, शिक्षकों, सामाजिक कार्यकर्ताओं पत्रकारों , और युवाओं की उल्लेखनीय भागीदारी रही। सहभागियों ने अनेक ज्वलंत प्रश्न पूछे और खुलकर विचार साझा किए, जिससे संवाद में गहराई और उद्देश्य की स्पष्टता आई।

आयोजकों ने जताया आभार
आयोजन के समन्वयक श्री राममिलन यादव, श्री अरविन्द पाण्डेय और श्री बिहारी लाल नवलानी, श्री राजेश पटेल ने सभी प्रतिभागियों, अतिथियों और आयोजन स्थल आईटीआई पाली प्रशासन का आभार प्रकट किया। उन्होंने आशा जताई कि इस प्रकार के संवाद भविष्य में भी होते रहेंगे, जिससे समाज में जागरूकता और समरसता बढ़े।
