Share this News

कोरबा 21 जून ( कोरबा 24 न्यूज़ ): हर साल जून महीने के तीसरे रविवार को दुनियाभर में फादर्स डे मनाया जाता है । आज की जनरेशन यूं तो पिता को जरुरत के मौके पर मनाती है, उन्हें खुश करने की कोशिश करती है। पर फादर्स डे पर जरुर सोशल मीडिया पर पिता के साथ पिक और अच्छे-अच्छे कोटेशन नजर आने लगते हैं। साहित्य को खंगाला जाए तो मां के लिए बहुत कुछ लिखा गया है, कोख से शुरु होकर बेटे के बाल पकने तक के ढ़ेर सारे किस्से लिखे और पढ़े गए हैं। लेकिन पिता के लिए कुछ लिखना हो तो कॉपी- पेस्ट करने लायक कुछ नहीं मिलता।

बच्चे के जन्म से पहले पिता जेब को टटोलना शुरु कर देता है। जैसे- जैसे बच्चा बड़ा होता उसकी फरमाइशें बढ़ती जाती है और पिता अपनी जरुरतों को समेटता जाता है। एक वक्त आता है जब वो उसूलों के खिलाफ जाकर कर्ज लेता है, कुछ मजबूर पिता ये काम बच्चे के स्कूल जाने से शुरु कर देते हैं तो कुछ को शादी तक की मोहलत होती है। मां के दूध का कर्ज बच्चा चुका नहीं सकता और पिता के फर्ज के कर्ज का उसे कभी अहसास नहीं होता।

एक बच्चे के लिए उसका पिता दुनिया का सबसे हिम्मती, ताकतवर, हैंडसम,धनवान और सुपरमैन होता है, पिता इस बात को बखूबी जानता है । बच्चे के सामने इस इमेज को बनाए रखने की जुगत वो लगाता रहता है, लेकिन किशोर बच्चा जब जमाने की थाह लेने लगता है तो वो पिता को अंकल से कम्पेयर करने लगता है, और ये जमाने का सच है कि इस उम्र में कभी पिता, अंकल से नहीं जीत पाता। पिता उस दौर में अचानक सागर क गहराई ले आता है। ताकतवर होकर भी कमजोर हो जाता है।

पिता प्रत्येक बच्चे के लिए आशा-उम्मीद होता है। पिता अपनी संतान को सुख देने के लिए अपने सुखों को भी भुला देते हैं। वो रात दिन अपने बच्चों के लिए ही मेहनत करते हैं और उन्हें वे हर सुविधा देना चाहते है जो उन्हें भी कभी नहीं मिली। कई बार छोटी सी तनख्वाह में भी बच्चों को अच्छी शि‍क्षा देने के लिए पिता कर्ज में भी डूब जाते हैं लेकिन बच्चों के सामने कभी कोई परेशानी जाहिर नहीं करते … शायद इसीलिए पिता, दुनिया में सबसे जिम्मेदार कहे जाते हैं।

वो जो घर का पता है, हां वही पिता है

वो जो घर की चादर है, हां वही फादर है

क्या पता है ?
वो जो पिता है…..
जेठ की धूप में रेगिस्तान है पिता
माथे पे टपकती पसीने की बूंद है पिता
पीठ पे लटका बस्ता है पिता
चक्की पर पिसता गेहूं है पिता
घर पर जलती लाइट है पिता
गृहस्थी की असली फाइट है पिता
कोने में दबी चावल की बोरी है पिता
मां के गले की डोरी है पिता
पिता आशा है उम्मीद है
अब्बू है तो घर पर ईद है
हमारा आदर है पिता
मां यदि बिछौना तो घर की चादर है पिता

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *