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श्री टेकाम ने कहा कि प्रदेश सरकार द्वारा किसानों की सिंचाई कर की भी माफी की गई है। राज्य में रोका-छेका अभियान की शुरूआत किए जाने की साथ ही खुली चराई प्रथा पर रोक लगाने का प्रयास किया गया है। उन्होने बताया कि गांव और किसानों की बेहतरी के लिए सुराजी गांव योजना के तहत नरवा, गरूवा, घुरवा, बाड़ी के संवर्धन और संरक्षण के कार्य किए जा रहे हैं। गांव में वर्षा जल संरक्षण के लिए नरवा (नाला) का उपचार कराए जाने के साथ ही पशुओं के संरक्षण और संवर्धन के लिए गौठानों का निर्माण कराया जा रहा है। राज्य में पांच हजार से अधिक गौठानों के निर्माण की स्वीकृति दी जा चुकी है। गौठानों में किसानों एवं पशुपालकों पशुधन के रखरखाव एवं उनके चारे-पानी का बेहतर प्रबंध किए जाने के साथ ही महिला स्वसहायता समूह के माध्यम से विभिन्न आयमूलक गतिविधियां संचालित की जा रही हैं। घुरवा कार्यक्रम के तहत गांव में नाडेप एवं वर्मी कम्पोस्ट के उत्पादन की ओर ग्रामीणों एवं किसानों का रूझान बढ़ा है। राज्य में निर्मित गौठानों में बड़े पैमाने पर वर्मी कम्पोस्ट खाद का उत्पादन भी किया जा रहा है। बाड़ी विकास कार्यक्रम से गांव में सब्जी-भाजी के उत्पादन को बढ़ावा मिला है। महिला समूह अब सामूहिक रूप से सब्जी उत्पादन के कार्य से जुड़े हैं। इन योजनाओं के माध्यम से छत्तीसगढ़ की ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी। राज्य में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के ग्राम स्वराज्य का सपना मूर्त रूप लेने लगा है।
प्रदेश में कोरोना संक्रमण के चलते बनी परिस्थितियों में बच्चों की पढ़ाई को लेकर प्रभारी मंत्री श्री टेकाम ने कहा कि आज पूरा देश कोरोना जैसी महामारी से जूझ रहा है। स्कूल अभी लंबे समय से बन्द चल रहे है। लेकिन प्रदेश सरकार द्वारा स्कूलों में ऑनलाइन पढ़ाई की शुरुआत की गई है। तथा इसको और बेहतर करने के लिए पूरा प्रयास किया जा रहा है ताकि बच्चों की पढ़ाई में किसी प्रकार की कोई परेशानी न होने पाए। अभी स्कूल कब से खुलेंगे इस पर निर्णय नहीं लिया जा सका है। वर्चुअल ऑनलाइन पढ़ाई पर अधिक फोकस किया जा रहा है।


राजस्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल ने अपने उद्बोधन में कहा कि गोधन न्याय योजना ग्रामीणों, किसानों एवं पशुपालकों को लाभ पहुंचाने की एक अभिनव योजना है। इस योजना के तहत किसानों एवं पशुपालकों से दो रूपए किलो की दर से गोबर की खरीदी की जाएगी, जिसके जरिए गौठानों में बड़े पैमाने पर वर्मी कम्पोस्ट खाद का निर्माण एवं अन्य उत्पाद तैयार किए जाएंगे। इससे गांव में लोगों को रोजगार एवं आर्थिक लाभ प्राप्त होगा। राज्य में जैविक खेती को बढ़ावा मिलेगा। कार्यक्रम को मध्यक्षेत्र विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष श्री लालजीत सिंह राठिया, उपाध्यक्ष श्री पुरूषोत्तम कंवर ने भी संबोधित किया।
योजना के शुभारंभ अवसर पर कलेक्टर श्रीमती किरण कौशल ने जिले में गौठानो के निर्माण, गौठानो मे आर्थिक गतिविधियों के साथ गोबर खरीदी के लिए किए गए इंतजामों की जानकारी दी। कलेक्टर ने बताया कि जिले में 282 गौठान स्वीकृत किए गए हैं, जिनमें से 210 गौठान पूरे हो चुके है। गौठान संचालन के लिए समितियों को 10-10 हजार रूपए प्रतिमाह उपलब्ध कराए जा रहे है। श्रीमती कौशल ने बताया कि प्रारंभिक आंकलन के अनुसार गोधन न्याय योजना से एकत्रित किए गए गोबर से जिले में चैदह हजार टन से अधिक जैविक खाद उत्पादन होगा। उन्होने बताया कि इस योजना से जिले मे एक लाख चैतीस हजार से अधिक किसान लाभान्वित होंगे तथा लगभग 282 स्वसहायता समूहो को रोजगार मिलेगा।
कार्यक्रम के दौरान ग्रामीण हितग्राहियों को बीज मिनी किट, मछली जाल, मुर्गी पालन के लिए चूजे भी वितरित किए गए। प्रभारी मंत्री ने इस दौरान धवईपुर क्लस्टर के महिला स्वसहायता समूह द्वारा बनाई जा रही छत्तीसगढ़ थीम की राखियों के ब्रोशर उजियारा राखी का विमोचन किया। इस ब्रोशर में समूह द्वारा चावल, दाल, बांस, रेशम, कौड़ी, गेहूं जैसे स्थानीय चीजों से बनाई गई राखियों का सचित्र विवरण शामिल किया गया है। इस दौरान उद्यानिकी विभाग द्वारा अमरपुर, रंजना, ढेलवाडीह, ढपढप और भिलाईबाजार के महिला स्वसहायता समूहों को वर्मी कम्पोस्ट उत्पादन कर विक्रय करने पर लगभग चालीस हजार रूपए के चेक भी वितरित किए गए। सभी अतिथियों ने गौठान परिसर में वृक्षारोपण भी किया।

मिनी किट, गोबर क्रय पत्रक मछली जाल हितग्राही मूलक योजनाओं के तहत कार्यक्रम की समाप्ति पर गोधन न्याय योजना से जुड़े समिति की सदस्यों को गोबर खरीदी पत्रक वितरित किया गया तथा स्वसहायता समूहों को चेक वितरित किया गया।