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छत्तीसगढ़ में 2 अगस्त से स्कूल खोल दिये गये हैं. हालांकि कुछ स्कूल तो अभी खुले भी नहीं हैं. इस बीच कोरोना की तीसरी लहर की आशंका को देखते हुए बच्चों के अभिभावक उन्हें स्कूल भेजने से कतरा रहे हैं. वहीं कुछ बच्चे ऑनलाइन तो कुछ ऑफलाइन कक्षा को बेहतर बता रहे हैं.
बिलासपुर(KRB24NEWS) : प्रदेश में 2 अगस्त से स्कूल खोल दिये गए हैं. शासन-प्रशासन ने जिला शिक्षा पदाधिकारी के माध्यम से सभी स्कूलों के प्रधानों को 50 प्रतिशत उपस्थिति के साथ पढ़ाई के आदेश दिये हैं. इस बीच सरकार के स्कूल खोलने के निर्देश को बच्चों के माता-पिता ने गलत ठहराया है. उनका कहना है कि कोरोना (corona) अभी खत्म नहीं हुआ है. जब हमलोगों ने इतने दिन तक अपने बच्चों को घर में ही ऑनलाइन पढ़ाया, तो ऐसे में अभी कुछ दिन और रुक जाना ही बेहतर होगा. अभी फिलहाल सरकार को ऑनलाइन क्लास (online class) ही जारी रखनी चाहिए. ऐसे में स्कूलों में लगातार बच्चों की संख्या घटने लगी है.
पालकों ने ऑनलाइन क्लास को ही बताया बेहतर
स्कूल खुलने को लेकर जब बच्चों से पूछा गया तो कुछ ने ऑनलाइन पढ़ाई को बेहतर बताया तो कुछ ने ऑफलाइन पढ़ाई को ही बेहतर बताया. ऐसे में स्कूल आने वाले बच्चों की संख्या भी लगातार घटती जा रही है. इधर, स्कूलों में गिने-चुने बच्चों को ही शिक्षकों को पढ़ाना पड़ रहा है. इसके अलावा स्कूलों में करीब 20 प्रतिशत बच्चे ही आ रहे हैं. इसमें भी कई प्राइमरी स्कूल तो अब तक शुरू भी नहीं हो सके हैं. इधर, स्कूली बच्चों को कोविड के संक्रमण से बचाने के लिए कलेक्टर ने कोविड प्रोटोकाल का कड़ाई से पालन करने और रेगुलर मॉनिटरिंग करने के निर्देश दिए हैं. कलेक्टर की मानें तो स्कूली बच्चों व शिक्षकों में कोरोना के कोई भी लक्षण दिखने पर तत्काल परीक्षण कराने और उपचार कराने को कहा गया है.
क्या कहते हैं शिक्षक ?
हिंदी और संस्कृत ऐसे विषय हैं, जो ऑनलाइन भी पढ़ा दिये जाएं तो बच्चों की समझ में आ जाएगा. लेकिन कॉमर्स और गणित विषय ऐसे हैं, जिन्हें ऑफलाइन पढ़ाने से बच्चों की समझ में जल्दी और अच्छी तरह से आएगा.
क्या कहता है प्रशासन ?
स्कूल खुल गए हैं, लेकिन जो भी पालक अपने बच्चों को स्कूल भेजना चाह रहे हैं वे भेज रहे हैं. जो बच्चों को नहीं भेजना चाहते, उनपर कोई दबाव नहीं है. 50 प्रतिशत उपस्थिति के साथ ही स्कूल खोले जाने का निर्देश है. हालांकि स्कूलों में कोरोना से एहतियात की सारी व्यवस्था उपलब्ध रहती है.