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कोरोना के इस मुश्किल वक्त में पूरा देश जितना मेडिकल उपकरणों की कमी से जूझ रहा है, उतना ही मेडिकल स्टाफ की कमी भी चिंता का विषय बनी हुई है. छत्तीसगढ़ भी मेडिकल स्टाफ की कमी से दो-चार हो रहा है. प्रदेश में 18 सौ से ज्यादा नर्सों के पद खाली हैं. स्वास्थ्य मंत्री का कहना है कि जल्द ही भर्तियां होंगी. देखें ये रिपोर्ट.
रायपुर 15 मई (KRB24NEWS) : कोरोना के मुश्किल समय में अस्पतालों में नर्स ही हैं, जो मरीजों के सबसे करीब होती हैं. मरीज के इलाज में डॉक्टरों के साथ नर्स बड़ी भूमिका निभाती हैं. कोविड-19 महामारी के दौर में जब व्यवस्थाओं के ज्यादा मरीज हैं, सिस्टर्स बिना छुट्टी लिए डबल ड्यूटी कर रही हैं. 24 घंटे मरीजों की सेवा में जुटी हैं. छत्तीसगढ़ में हालत ये है कि कई बार एक ही नर्स को तीन-तीन शिफ्ट संभालनी पड़ रही है. प्रदेश के विभिन्न अस्पतालों में पदस्थ नर्सों का यही हाल है. न सिर्फ कोरोना मरीजों का इलाज बल्कि कोरोना वैक्सीनेशन की अतिरिक्त जिम्मेदारी भी नर्सों पर आ गई है. ऐसे में लगभग सभी अस्पतालों में स्टाफ नर्स की कमी है. स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव कहते हैं कि भर्ती प्रक्रिया जारी है. जल्द ही खाली पदों पर नई भर्ती हो जाएगी.
मेडिकल स्टाफ की कमी से जूझ रहा छत्तीसगढ़
16 सौ से ज्यादा पदों पर नर्सो की नियुक्ति
कोरोना काल में लगातार कोविड-19 केयर सेंटर, अस्पतालों में बेड की संख्या, ऑक्सीजन युक्त बेड, वेंटीलेटर युक्त बेड सहित तमाम व्यवस्थाओं में काफी इजाफा किया गया है. लेकिन मानव संसाधन को लेकर कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया था. अब राज्य सरकार ने बड़े पैमाने पर नियुक्ति निकाली है. इसमें स्टाफ नर्स भी शामिल हैं. राज्य सरकार के द्वारा लगभग 16 सौ से ज्यादा पदों पर नर्सो की नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू की गई है.
प्रदेश में नर्सों की कमी
स्टाफ नर्स के 5329 स्वीकृत पद1895 पद खालीविशेषज्ञ चिकित्सकों के 1596 पद स्वीकृत1359 पद खालीटेक्नीशियन के 1436 पद स्वीकृत989 पद खाली
• परिवार एवं स्वास्थ्य कल्याण विभाग ने प्रदेश भर में 4143 विभिन्न पदों पर संविदा पर भर्ती की मंजूरी दी है.
• स्वास्थ्य सेवाओं के संचालक ने 23 मार्च को 1625 पदों पर संविदा भर्ती के लिए अनुमति मांगी थी.
• 10 अप्रैल को स्वास्थ्य परिवार कल्याण विभाग के अपर सचिव राजेंद्र सिंह गौर ने पिछली मांग के 1625 पदों को मिलाकर कुल 4143 पदों पर संविदा भर्ती की अनुमति का आदेश जारी किया है.
• इनकी नियुक्ति राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के मापदंडों और कलेक्टर दर पर 3 महीने की संविदा पर होनी थी.
• संविदा पर नई नियुक्तियों का खर्च राज्य आपदा मोचन निधि और कोविड-19 नियंत्रण के लिए दी गई दूसरी निधियों से किया जाएगा.
• इन्ही नियुक्ति में 1624 स्टाफ नर्सों की नियुक्ति भी शामिल है.
ये ड्यूटी नहीं सेवा भाव है’
डॉक्टर तो सिर्फ दवाई लिखकर उपचार की विधि बताते हैं. बाकी उसके बाद का सारा काम इन नर्सों के हाथ में होता है. चाहे फिर वह मरीज की देखभाल हो, इंजेक्शन लगाना हो, दवाई देना हो या फिर मरीज से संबंधित अन्य कोई काम. ये सारी जिम्मेदारियां नर्स निभाती हैं. मरीजों की सेवा में लगी नर्सों का कहना है कि उन्हें भी जान का डर रहता है. इसके बाद भी वे महसूस करती हैं कि सेवा ही सबसे बड़ा धर्म है.
भेदभाव की शिकायत भी आई
पूरे देश में इस समय कोरोना वैक्सीनेशन का दौर चल रहा है. नर्सें लगातार शहर से लेकर दूरस्थ गांवों में जाकर लोगों को कोरोना का टीका लगा रही हैं. बीते दिनों कई अस्पतालों की नर्सों ने अस्पताल प्रबंधन पर ये भी आरोप लगाया था कि सिर्फ कुछ ही नर्सों की ड्यूटी बार-बार कोविड वार्ड में लगाई जा रही है. हालांकि स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने इस पर कार्रवाई करने की बात कही है.
बिना नर्सों के चिकित्सा व्यवस्था अधूरी
ऑल इंडिया इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस रायपुर के सदस्य डॉक्टर राकेश गुप्ता का कहना है कि जो भी चिकित्सा विज्ञान है. उसमें डॉक्टरों के बाद सबसे महत्वपूर्ण काम नर्सों का रहा है. जो डॉक्टर के निर्देश के बाद मरीजों का उपचार करती हैं. इस चिकित्सा की व्यवस्था में नर्सों की भूमिका को कभी नकारा नहीं जा सकता. लेकिन इन नर्सों को कभी इतना महत्व दिया ही नहीं गया. डॉक्टर गुप्ता कहते हैं कि नर्सों को सिर्फ वर्ल्ड नर्स डे के दिन ही याद किया जाता है. उसके बाद इन्हें वह सम्मान नहीं मिलता जो मिलना चाहिए.
बहरहाल कोरोना काल के बीच प्रदेश में व्याप्त नर्स की कमी को दूर करने लगातार राज्य सरकार के द्वारा प्रयास किए जाने के दावे किए जा रहे हैं. अब देखने वाली बात है कि राज्य सरकार के यह प्रयास कब तक सफल होते हैं. उम्मीद करते हैं कि जल्द ही खाली पदों पर भर्तियां हों, जिससे इस महामारी के दौर में मरीजों की सेवा में मुश्किल न हो.