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कटघोरा 04जुलाई(कोरबा24न्यूज़) भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद्-राष्ट्रीय जैविक स्ट्रेस प्रबंधन संस्थान, बरोंडा, रायपुर द्वारा कृषि विज्ञान केन्द्र, कोरबा में डी.बी.टी. किसान हब परियोजना का संचालन कृषि विज्ञान केन्द्र, कोरबा के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं प्रमुख डाॅ. आर.के. महोबिया कि मार्गदर्शन में किया जा रहा है। इसी कार्यक्रम के तारतम्य में कृषि विज्ञान केन्द्र, कोरबा द्वारा डी बी टी किसान हब परियोजना अंतर्गत दिनांक 02 एवं 03 जुलाई 2020 को चयनित ग्राम-जवाली, रंजना, कसईपाली, भांवर एवं सोनपुरी में कृषक प्रशिक्षण कार्यक्रम किया गया। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में धान बोनी के पूर्व बीजोपचार कैसे एवं क्यों करें ? का प्रशिक्षण दिया गया। किसानों को धान की बुआई एवं रोपाई के पूर्व बीज उपचार की पूरी प्रक्रिया का प्रायोगिक प्रशिक्षण वैज्ञानिक रितिका ठाकुर, के.वी.के., कोरबा द्वारा दिया गया। परियोजना के नोडल अधिकारी डाॅ. जी.के. निगम द्वारा बीजोपचार में कल्चर पी.एस.बी., ट्राइकोडर्मा एवं स्यूडोमोनास द्वारा सही तरीके से बीजोपचार की प्रक्रिया का पूर्ण रूप से जानकारी दी गई। बीजोपचार प्रशिक्षण के बाद कृषको को पी.एस.बी., ट्राइकोडर्मा कल्चर एवं स्यूडोमोनास का वितरण किया गया। स्यूडोमोनास फ्लोरसेन्स जैविक रोगनाशक का उपयोग धान फसल में लगने वाली गलन एवं सड़न रोग बीमारियों के बचाव के लिये किया जाता है। किसान भाई धान बीज के उपचार हेतु स्यूडोमोनास फ्लोरसेन्स कल्चर को 10 ग्राम प्रति किलो बीज की दर से उपयोग करें। स्यूडोमोनास फ्लोरसेन्स कल्चर का उपयोग भूमि उपचार हेतु गोबर खाद या वर्मीकम्पोस्ट युक्त खाद में अच्छी तरह मिलाकर ठंडी या छायादार स्थान में रखकर 15 से 20 दिन पश्चात उपयोग करें। थरहा के उपचार हेतु 10 ग्राम स्यूडोमोनास फ्लोरसेन्स कल्चर को 01 लीटर पानी में घोलकर थरहा को उपचारित कर सकते है। थरहा के जड़ वाले भाग को घोल में 6-12 घंटे डुबोया जाता है या 01 किग्रा. पाउडर को 100 लीटर पानी में घोल बनाकर जड़ों के पास 0.25 एकड़ भूमि में ड्रेचिंग करें। किसान भाई इसी प्रकार ट्राइकोडर्मा कल्चर का उपयोेग भी फसलों में रोगों की रोकथाम के लिये कर सकते हैं। इस कार्यक्रम में कृषि विज्ञान केन्द्र, के वैज्ञानिक डाॅ. जी.के. निगम एवं डाॅ. एस.के. उपाध्याय उपस्थित रहे। डाॅ. एस.के. उपाध्याय द्वारा किसानों को धान की बुआई एवं नर्सरी तैयार कर रोपाई करने की सही तकनीक का प्रशिक्षण दिया गया। इस प्रशिक्षण में कोरोना महामारी को ध्यान में रखते हुए सोषल डिस्टेंसिंग का पूर्णतः पालन किया गया।