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कोरबा/कटघोरा 14 दिसम्बर ( KRB24NEWS ) : वनमण्डल में वन्यप्राणियों की मौत, हाथियों के हमले से हो रहे जनधन के नुकसान और निर्माण कार्यो में अनियमितता के अलावा कई अन्य आरोपो का सामना कर रही वनमण्डल कटघोरा की वनमंडल अधिकारी आईएफएस शमां फ़ारूक़ी अब पाली-तानाखार विधायक और कांग्रेस के J जिलाध्यक्ष मोहितराम केरकेट्टा के निशाने पर आ गई है. मोहितराम केरकेट्टा ने सूबे के वन मंत्री मोहम्मद अकबर को शमां फ़ारूक़ी पर आरोपो की पूरी फेहरिस्त सौंपी है. श्री केरकेट्टा ने कथित पत्र में डीएफओ के तत्काल तबादले की भी मांग की है. पत्र में उन्होंने बताया ही कि वनमण्डल अधिकारी के कामकाज के तौर तरीकों से जनप्रतिनिधि भी बेहद परेशान है लिहाजा डीएफओ का स्थानान्तरण करते हुए उनके पूरे कार्यकाल की सूक्ष्मता से जांच कराई जाए. श्री केरकेट्टा के लगाए आरोपो में ज्यादातर वनमण्डल अंतर्गत मजदूरी के लंबित भुगतान से जुड़े हुए है साथ कैम्पा मद के तहत निर्माण में भर्राशाही का आरोप भी लगाया है. हालांकि इस पत्र के वास्तविकता की पुष्टि हम नही करते बावजूद अपनी ही सरकार में एक मौजूदा विधायक ने भारतीय वन सेवा सरीखे अफसर पर जिस तरह के गंभीर आरोप लगाए है वह कई तरह के सवाल खड़े करता है. हमने इस सम्बंध में स्वयं मोहितराम केरकेट्टा से भी सम्पर्क का प्रयास किया लेकिन उनसे बात नही हो सकी.
गौरतलब है कि कटघोरा वनमण्डल में पदस्थ शमां फ़ारूक़ी अपनी पदस्थापना के दौरान ही आईएफ़एस अवार्ड हुई थी. जिसके बाद उन्हें कटघोरा वनमंडल का पूर्ण प्रभार सौंप दिया गया था. बता दें कि शमां फ़ारूक़ी शुरू से अपने कामकाज के तरीकों को लेकर जनप्रतिनिधि और मीडिया के निशाने पर रही है. उनपर ना सिर्फ निर्माण कार्यो में गड़बड़ी के आरोप लगते रहे बल्कि मजदूरों के भुगतान और मातहत रेंजरों की मनमानी की खबरे भी सामने आती रही है. उनके ही कार्यकाल में अबतक तीन हाथियों एक तेंदुए की मौत भी हो चुकी है बावजूद प्रदेश का वन महकमा उनपर पूरी तरह मेहरबान नजर आ रहा है. चूंकि अब खुद सत्ताशीन विधायक ने उनपर गंभीर आरोप मढ़े है लिहाजा विपक्ष को भी एक नया हथियार मिल गया.
“विधायक के लगाए आरोप पूरी तरह से सही है. यह ना सिर्फ कटघोरा वनमण्डल का लेखा-जोखा है बल्कि पूरे प्रदेश के अफसर और सत्ताशीन जनप्रतिनिधि सूबे को लूटने में लगे है. शमां फ़ारूक़ी बेहद भ्रष्ट वन अधिकारी है. उनके संगठन ने नेता प्रतिपक्ष को भी इस पूरे मामले से अवगत कराया गया है. सम्भवतः विधानसभा के शीत सत्र में सरकार को इस मुद्दे पर जवाब भी देना पड़ेगा. वही सरकार जिस तरह एक अफसर के बचाव में खड़ी हुई है वह भूपेश सरकार की नियत पर गंभीर सवाल खड़ा करता है”
पवन गर्ग, पूर्व जिलाध्यक्ष भाजपा कोरबा.