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रायपुर (KRB24 News): 18 नवंबर यानि बुधवार से छठ पर्व की शुरुआत हो चुकी है, जो कि 21 नवंबर शनिवार तक चलेगा. साथ ही श्रद्धालु 20 नवंबर की शाम छठी मैया को अर्घ्य देने के लिए पानी में उतरेंगे. इसके बाद 21 नवंबर की सुबह उगते हुए सूरज को अर्घ्य देकर छठ पूजा का समापन किया जाएगा. छठ पर्व की शुरुआत नहाय-खाय से 18 नवंबर से होगी. इसके बाद 19 नवंबर को खरना मनाया जाएगा. इस दिन बेहद ही स्वादिष्ट गन्ने की रस की खीर बनाई जाती है. इसके बाद बांस की टोकरी में प्रसाद भरा जाएगा, जिसे दऊरा भी कहा जाता है. यह पर्व बिहार समेत कई राज्यों में मनाया जाता है, लेकिन इस साल कोरोना की वजह से लोगों में थोड़ी मायूसी भी है.
किस दिन कैसे मनाया जाएगा छठ पर्व
- 18 नवंबर बुधवार के दिन नहाय-खाय
- 19 नवंबर गुरुवार को खरना
- 20 नवंबर शुक्रवार को डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा
- 21 नवंबर शनिवार को उगते सूर्य को अर्घ्य देकर छठी पर्व का समापन होगा
मां दुर्गा के छठे रूप कात्यायनी देवी को भी छठ माता का रूप माना गया है
कार्तिक मास की षष्ठी को छठ पर्व मनाया जाता है. छठे दिन पूजे जाने वाली षष्ठी मैया को बिहार में आसान भाषा में छठी मैया कह कर पुकारते हैं. मान्यता है कि छठ पूजा के दौरान पूजी जाने वाली यह माता सूर्य भगवान की बहन है. इसलिए लोग सूर्य को अर्घ्य देकर छठ मैया को प्रसन्न करते हैं. वहीं पुराणों में मां दुर्गा के छठे रूप कात्यायनी देवी को भी छठ माता का ही रूप माना जाता है. छठ मैया को संतान देने वाली माता के नाम से भी जाना जाता है. मान्यता है कि जिस दिन छठ पर्व संतान के लिए मनाया जाता है. खासकर वह जोड़े, जिन्हें संतान की प्राप्ति नहीं हुई है. वे लोग छठ का व्रत रखते हैं. बाकी सभी अपने बच्चों की सुख शांति के लिए छठ मनाते हैं.
छठ पूजा में अर्घ्य देने का वैज्ञानिक महत्व
जानकारों के मुताबिक सूरज की किरणों से शरीर को विटामिन डी मिलती है. उगते सूर्य की किरणों का फायदा भी मिलता है. इसलिए सदियों से सूर्य नमस्कार को लाभकारी बताया गया है. वहीं प्रिज्म के सिद्धांत के मुताबिक सुबह की सूरज की रोशनी से मिलने वाले विटामिन डी से शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बेहतर होती है. स्किन से जुड़ी सभी परेशानियां खत्म हो जाती है.
छठ पूजा में लगने वाली सामग्री और विधि
बांस की तीन बड़ी टोकरी, बांस या पीतल के बने 3 सूप, थाली, दूध और ग्लास, चावल, लाल सिंदूर, दीपक, नारियल, हल्दी, गन्ना, सब्जी, शकरकंद, नाच, पत्ती, नींबू, शहद, पान, सुपारी, कपूर, चंदन, मिठाई प्रसाद समेत कई सामाग्रियां लगची हैं. इसके साथ ही मिठाई प्रसाद के रूप में ठेकुआ, मालपुआ, खीर, पुरी, सूजी का हलवा चावल के बने लड्डू, बांस की टोकरी में पूजन सामग्री रखी जाती है. साथ ही टोकरी में दीपक जलाकर नदी में उतरते हैं और सूर्य देव को अर्घ्य दिया जाता है.
