Share this News
बिलासपुर जिले के मस्तूरी तहसील में स्थित गतौरा ग्राम पंचायत में कलचुरी कालीन प्राचीन शिव मंदिर स्थापित है। इस ऐतिहासिक पर्यटन के लिए अगर आपको जाना हो तो शहर के समीप इस मंदिर पर जरूर जाना चाहिए। यह प्राचीन शिव मंदिर जो पुरातात्विक दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण हैं, साथ ही यह जगह उन लोगों के लिए है जिन्हें प्राचीन मंदिरो और स्मारकों में भ्रमण करना पसंद है। तो आइए चलते हैं गतौरा के इस छिपे हुए पर्यटन स्थल प्राचीन शिव मंदिर में।

वैसे तो गतौरा ग्राम बिलासपुर शहर से सड़क मार्ग से करीब 14 किलोमीटर दूरी पर स्थित है। ट्रेन से जाने पर 8 किलोमीटर की दूरी पर गतौरा स्टेशन स्थित है। गतौरा स्टेशन से दो ढाई किलोमीटर ग्राम के अंदर जाने पर पुरैना तालाब के तट पर इस मंदिर के दर्शन किए जा सकते हैं। गतौरा का यह प्राचीन शिव मंदिर बहुत खुबसुरत हैं,और छत्तीसगढ़ के अन्य पुरातात्विक मंदिरों की तरह यह मंदिर भी तालाब के किनारे स्थित है। यह मदिर पुरातात्व की दृष्टि से इसलिए महत्वपूर्ण हैं क्योंकि इस मंदिर के उत्खनन के समय प्राप्त अवशेषों से पता चलता हैं यह मंदिर कल्चुरियों द्वारा बनवाया गया था। 13 वीं शताब्दी में निर्मित इस मंदिर का संरक्षण भारतीय पुरातत्व विभाग करती है और इस मंदिर को भारतीय पुरातत्व संर्वेक्षण विभाग द्वारा एक संरक्षित स्मारक का दर्जा भी प्राप्त हैं। इस मंदिर मे शिवरात्रि में काफी चहल-पहल होती हैं और लोग इस प्राचीन मंदिर मे शिव जी की पुजा करने आते हैं। अगर आप इतिहासिक पर्यटन से जुड़ी जगहों में जाना पसंद करते हैं तो यह आपके लिए एक अच्छा पर्यटन स्थल होगा। और अगर आप चाहे तो आप यहां शिवरात्रि में भी आ सकतें हैं।भगवान शिव को समर्पित पुरैना तालाब के तट पर स्थित यह एक अदभुत शिव मंदिर है।अद्भुत इसलिए भी कि मंदिर का मुख्य प्रवेश द्वार तालाब की जलराशि यानी तालाब की ओर द्वार स्थापित किया गया है। शायद निर्माणकर्ताओं द्वारा मंदिर में प्रवेश हेतु पहले स्नान पश्चात मंदिर में पूजा अर्चना किए जाने का अभिप्राय:रहा होगा। मंदिर का भवन सोलह स्तंभों के साथ स्थापित किया गया है।इन्ही सोलह स्तंभों के बीच गर्भ गृह में शिवलिंग स्थापित है। गर्भ गृह के बाहर की ओर नंदी महाराज स्थापित हैं। यह मंदिर लाल पत्थरों से निर्मित किया गया है।मंदिर के प्रवेश द्वार के पास विभिन्न देवताओं की मूर्तियां भी स्थापित की गई है ,साथ ही मंदिर के दीवारों पर पशुओं के भी मूर्तियां स्थापित है।इस मंदिर में एक गर्भगृह और एक स्तंभित खुला मंडप है। गर्भगृह को सप्तरथ योजना में बनाया गया है, जिसका अर्थ है कि इसमें पीछे की ओर सात प्रक्षेपण या विभाग हैं। गर्भगृह के ऊपर अधिरचना (शिकारा) रेखा नागरा स्थापत्य शैली का अनुसरण करती है, जिसकी विशेषता इसकी घुमावदार और पतली मीनार है। विस्तृत बाहरी सजावट वाले कुछ मंदिरों के विपरीत, इस मंदिर की बाहरी दीवारें किसी भी अलंकृत नक्काशी या अलंकरण से रहित हैं। हालांकि, शिकारे के निचले हिस्से में सभी तरफ आले हैं। इन आलों के नीचे, आप शिकारे को घेरे हुए नृत्य मुद्राओं में मानव आकृतियों की मूर्तियां पा सकते हैं। ये नृत्य करती आकृतियाँ मंदिर के डिजाइन में कलात्मक और सांस्कृतिक महत्व जोड़ती हैं। इस शिव मंदिर में खासकर शिवरात्रि एवं सावन माह के समय आसपास के सैकड़ो ग्रामीण आस्था के साथ यहां पहुंचते हैं, और भगवान शिव के समक्ष पूजा अर्चना और अपनी मन्नतें मांगते हैं। ऐसा माना जाता है कि इस मंदिर में भगवान शिव का जलाभिषेक करने एवं पूजन अर्चन करने के पश्चात मांगी गई मनौतिया पूर्ण होती है। गतौरा ग्राम वासी इस मंदिर की पूजा अर्चना व भजन कीर्तन का आयोजन समय-समय पर पर किया करते हैं। इस मंदिर के आसपास गणेश, राम सीता हनुमान एवं दुर्गा एवं काली माता के मंदिर भी स्थापित हैं।गतौरा में ही जयरामनगर की ओर जाने वाले सड़क मार्ग पर 4 किलोमीटर आगे मां कंकाली का विख्यात मंदिर भी स्थापित है। इस मंदिर में वैसे तो श्रद्धालुओं का आना-जाना लगा रहता है। लेकिन नवरात्रि में यहां सैकड़ो की तादाद में दूर-दूर से श्रद्धालु गण दर्शनार्थ पहुंचते हैं। गतौरा पहुँचने के लिए निकटतम बस स्टैंड गतौरा व निकटतम रेलवे स्टेशन गतौरा एवं बिलासपुर है। निकटतम हवाई अड्डा बिलासपुर है।