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कोरबा पाली/15 जुलाई 2024(KRB24NEWS):

छत्तीसगढ़ पब्लिक हायर सेकेंडरी स्कूल पाली के शिक्षाविद प्राचार्य डा. गजेंद्र तिवारी का मानना है कि बच्चों को अनुशासन सिखाने का मतलब उनको सजा देना नहीं होता बल्कि आपको उन्हें अच्छे से बर्ताव करना सिखाना होता है. आपके बच्चे की उम्र के हिसाब से आपको उन्हें अलग अलग तरीके से अनुशासित करना होगा अपने बच्चों को अनुशासित करते वक्त कुछ ऐसे नियम बनाकर शुरूआत करें जिससे बच्चा अच्छी तरह से समझ पाए और अनुशासन को अमल में लाते वक्त एकदम नियमित रहे और कुछ ऐसे नियम बनाए जो बच्चे को सफलता की तरफ जाने को प्रेरित करें.बच्चा जब कुछ अच्छा करें तो उसे सपोर्ट करें और उसके अच्छे बर्ताव को प्रोत्साहित भी करें बच्चे की उम्र के अनुसार यह जरूरी है कि उन्हें सही और गलत बर्ताव के बीचका अंतर मालूम हो. बच्चेको मालूम होना चाहिए कि घर के लिए नियम बनाकर आप उनकी तरफ से क्या अपेक्षा रख रहे हैं. उनका कौन सा बर्ताव सीमा से बाहर है और नियम तोड़ने पर क्या होता है. यह नियम और इनके परिणाम आपके बच्चे की उम्र और उसके मैच्योरिटी लेवल के अनुसारअलग-अलग हो सकते हैं. अभिभावक बच्चों के लिए एक ऐसा सटीक रूटीन बनाएं जो उनकी जरूरतों को पूरा कर सके सुबह उठने और रात को सोने जाने का रूटीन तैयार रखें. बच्चा अगर कोई नियम तोड़ने जा रहा है या गलत तरीके का बर्ताव कर रहा है तो उसे एक चेतावनी दें चेतावनी मिलने के बाद उसे समझ आ जाएगा कि इस तरह से बर्ताव करने की वजह से इसके परिणाम को भुगतना पड़ेगा।

बच्चों के लिए बनाए टाइम टेबल

बच्चों को अनुशासन में रखने व उनके बौद्धिक विकास के लिए एक सही टाइम टेबल जरूरी है. प्रत्येक माता-पिता को इसका ध्यान रखना चाहिए. अगर आपका बच्चा स्कूल में है और उसे स्कूल का होम वर्क पूरा करने में परेशानी हो रही है तो बच्चे को यह तय करने दें कि वह किस क्रम में अपना होमवर्क पूरा करना चाहता है. साथ ही उन्हें यह प्रोत्साहित करने के साथ उन पर निगरानी भी रखें कि वह अपना कार्य निर्धारित समय पर करें.