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शारदा पाल, कोरबा/कटघोरा 17 अगस्त 2021: क्षेत्रीय विधायक पुरषोत्तम कंवर व पाली तानाखार के विधायक मोहितराम केरकेट्टा दोनों ने ही कटघोरा अनुविभाग को जिले का दर्जा दिए जाने की मांग को अपना पूरा समर्थन दिया है. कटघोरा के क्षेत्रीय विधायक श्री कंवर ने मीडिया से हुई बातचीत में बताया कि प्रदेश में कुल 36 जिलों के निर्माण को लेकर कांग्रेस की सरकार प्रतिबद्ध है. बीते स्वतंत्रता दिवस को मुख्यमंत्री ने इसी के तहत चार नए जिले और 18 तहसीलों के गठन को हरी झंडी दी है. उन्हें पूरा विश्वास है कि जिलों के नाम की अगली सूची में कटघोरा का भी नाम शामिल रहेगा. आज उन्होंने राजस्व मंत्री से भी इस मसले पर चर्चा की है. उन्होंने भी हमारी मांग पर अपनी सैद्धांतिक सहमति दे दी है. आने वाले दिनों में पोंडी-उपरोड़ा, पाली व कटघोरा क्षेत्र के तकरीबन दो सौ जनप्रतिनिधि व समाजसेवियों का प्रतिनिधि मंडल रायपुर मुख्यमंत्री से भेंट करते हुए कटघोरा को जिले का दर्जा दिए जाने का आग्रह करेगा. विधायक का मानना है कि जबतक चार नए जिले सक्ति, मनेन्द्रगढ़, सारंगढ़ व मानपुर-चौकी का गठन पूरा होगा इसके ठीक बाद कटघोरा को भी जिले के रूप में गठन की घोषणा कर दी जाएगी. ईस तरह से उन्होंने अपने चुनावी वादे को पूरा करने और इस मांग के साथ कटघोरावासियों के साथ मिलकर आगे बढ़ने की बात कही.

अगले गणतंत्र दिवस तक जिले के गठन का प्रयास: मोहितराम केरकेट्टा.

कटघोरा विधायक के सुर में सुर मिलाते हुए पाली-तानाखार के विधायक मोहितराम केरकेट्टा ने भी जिले की मांग को अपना पूरा समर्थन दिया है. उन्होंने कहा कि यह एक भावनात्मक मुद्दा है, जनता से सीधा जुड़ा हुआ मुद्दा है. क्षेत्र का सर्व समुदाय भी कटघोरा को जिला बनाये जाने की आकांक्षा रखता है ऐसे में उन्हें पूरी उम्मीद है कि आने वाले दिनों में कटघोरा का जिले के तौर पर जल्द ही गठित किया जाएगा. मुख्यमंत्री उन्नयन एवं अधोसंरचना विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष मोहितराम केरकेट्टा ने कहा कि कटघोरा में जमीन की कमी नही है. खुद राजस्व मंत्री ने भी अपनी सहमति दी है. आने वाले दिनों में दोनों विधानसभा के सैकड़ो लोगो के साथ रायपुर जाकर भी मुख्यमंत्री से भेंट करेंगे और उन्हें अपनी मांग से अवगत कराएंगे. उन्हें पूरी उम्मीद है कि आने वाले 26 जनवरी 2022 तक यह मांग पूरी हो जाये.

जिला बनने के मापदंड पर कोई कमी नही है कटघोरा में

कटघोरा के वरिष्ट कांग्रेस नेता डॉ शेख इश्तियाक ने बताया इतने बड़े प्रदेश में बहुत जगह से जिले बनाने की मांग चल रही है इसी तरह कटघोरा को जिला बनाने की मांग यहां के लोगों की काफी लंबे समय से चल रही है. सारंगढ़ भी उतनी पुरानी मांग है जितनी कटघोरा को जिला बनाने की है लेकिन अभी सारंगढ़ को जिला बनाने की मांग पूरी हुई है. हमें पूरी उम्मीद है सरकार से की कटघोरा को जिला अवश्य बनाएंगे. हमारे दोनों विधायक गण, सांसद, मंत्री तथा राजस्व मंत्री से चर्चा कर हम आशान्वित हैं कि शीघ्र ही कटघोरा भी प्रदेश के नक्शे में जिला के रूप में उभरेगा. विलम्ब तो हुआ है लेकिन सरकार बदलती है तो नई सरकार की प्राथमिकताएं होती है की पिछले सरकार के सिस्टम को बदलने नई सरकार को नई पगडण्डी में फिर से चलना होता है. जिला बनने के मापदंड में कटघोरा में कोई कमी नहीं है मापदंड की दृष्टि से कटघोरा पूरी तरह उपयुक्त है जिला बनने के लिए. पिछली बार हमारा एक बड़ा प्रतिनिधि मंडल जिसमें तीन विधायक, सांसद तथा अनेक लोग तात्कालिक मुख्यमंत्री रमन सिंह से मिलने रायपुर गए हुए थे जिसमें रमन सिंह ने कहा था हमें अवसर मिला तो कटघोरा को जिला अवश्य बनायेगे. लेकिन विकासयात्रा के दौरान कटघोरा में जब रमन सिंह आये थे तो पत्रकारों द्वारा पूछे जाने पर की कटघोरा को जिला बनाने के वादा प्रतिनिधि मंडल से किया गया था तो उन्होंने साफ अपने किये वादे से मुकरते हुए कहा था कि उनके द्वारा ऐसा कोई वादा नहीं किया गया था. अगर वे चाहते तो 4 साल पहले ही कटघोरा जिला बन जाता.

ब्रिटिश कालीन तहसील लेकिन नहीं मिला इसे तवज्जो.इसके बाद कि बनी तहसील आज जिला बन चुकी है

कटघोरा के वरिष्ट पत्रकार अशोक दुबे ने बताया कि कटघोरा को जिला बनाने यहां के जनप्रतिनिधियों तथा आम लोगों द्वारा लगभग 30 सालों स्व संघर्ष करते चले आ रहे हैं.कटघोरा तहसील ब्रिटिश काल 1912 से संचालित है प्राशासकीय दृश्टिकोण से कटघोरा जिला बनने के पूरी तरह उपयुक्त है.इसका भौगोलिक क्षेत्र काफी फैला हुआ है कटघोरा से लगे हुए ब्लॉक पोंडी उपरोड़ा, पाली ब्लॉक मिलाकर यहां की आबादी लगभग 4 लाख के आसपास है. कटघोरा को जिला बनाने की मांग यहां के सभी लोगों की है. इसके पूर्व भी रमन सिंह की सरकार में हमारा प्रतिनिधि मंडल उनसे इस विषय पर मिलने गया हुआ था जिसके संयोजक पूर्व विधायक बोधराम कंवर थे. रमन सिंह जिला बनाने के वादे से मुकरे तो चुनाव में यहां की जनता भी उनसे मुकर गई. कटघोरा 8 गढ़ मिलाकर बनाया हुआ है यहां 8 गढ़ संचालित थे जो एक जमीदारी प्रथा थी. यहां का सबसे बड़ा गढ़ छुरी कोसगई गढ़ था जिसके अंतर्गत 270 गाँव आते थे मातीन गढ़, लाफ़ागढ जैसे गढ़ संचालित थे अंग्रजों ने भी कटघोरा सबसे उपयुक्त समझा था 1912 की तहसील है इसके बाद कि बनी तहसील आज जिला मुख्यालय में तब्दील हो चुकी है लेकिन कटघोरा आज भी पिछड़ा हुआ है.जिला न बनने से यहां के लोग आहत हैं. आज राजस्व मंत्री से सभी ने मुलाकात की है उन्होंने आश्वस्त किया है कि कटघोरा को जिला बनाने में वे उनका पूरा साथ देंगे. रक्षाबंधन पश्चात एक प्रतिनिधि मंडल मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से मिलने जाएगा और कटघोरा को जिला बनाने की मांग को पुरजोर तरीके से उनके समक्ष रखेगा. अधिवक्ता संघ इसके किये आगामी संघर्ष की योजना बना रहा है निश्चित ही हमारी मांग अवश्य पूरी होगी.

कटघोरा ब्लॉक में खनिज संपदा की भरमार है वही पोड़ी उपरोड़ा में वनसंपदा कोयला तथा पानी की प्रचूरता है पाली से भी सरकार को करोड़ो रूपये राजस्व मिलता है. एशिया का सबसे बड़ा कोयला खदान कटघोरा के दीपका गेवरा में स्थित है. कटघोरा प्रत्येक दृष्टि से जिले के लिए उपयुक्त है 1912 से तहसील है यहां वनमण्डल कार्यालय है पोड़ी उपरोड़ा ब्लॉक का भौगौलिक क्षेत्र काफी बड़ा है ऐसे कितने ग्राम है जहाँ से एक दिन में कोरबा पहुंचकर लोग नही लौट पाते. अब जबकि मनेन्द्रगढ़, सारंगढ जैसे छोटे जिले बना दिये गए ऐसे में कटघोरा को जिला न बनाने से लोगो मे नाराज़गी है अब कटघोरा के लोग जिले की मांग को लेकर बड़ा आंदोलन करने की तैयारी कर रहे है. कटघोरा , पाली तनाखार विधायकों को अब खुलकर जिले की मांग को उठाना पड़ेगा वरना आगामी चुनाव में यहां कांग्रेस को लोगो को नाराजगी भारी पड़ सकती है.

कटघोरा को जिला बनाने की मांग को लेकर कटघोरा वासीयों का संघर्ष कब रंग लाएगा और कब जिला बनेगा यह आने वाले समय के गर्त में छिपा है.

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