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सरगुजा में ऐसे बहुत से स्थान हैं, जो प्राकृतिक रूप से बेहद खूबसूरत हैं. जहां किसी भी जगह पर पिकनिक मनाई जा सकती है. इन जगहों पर जाने के लिए आपको सबसे पहले अंबिकापुर आना होगा. यहां से अपना सफर शुरू करना होगा. आज विश्व पिकनिक दिवस के मौके पर हम आपको ऐसी ही कुछ बेहतरीन पिकनिक स्पॉट की जानकारी देंगे…
सरगुजा: छत्तीसगढ़ को हरियाली, झरने, जंगलों और पहाड़ों और नैसर्गिक खूबसूरती के लिए जाना जाता है. कुदरत ने इस पर खूब प्यार लुटाया है. यहां यूं तो हर जिले में कुछ न कुछ खास है, लेकिन घूमने के लिए सरगुजा बेहद खास है. इस जिले में हरियाली और वनों के साथ-साथ आधुनिकीकरण और पर्यावरण का अनोखा मिश्रण देखने को मिलता है. सरगुजा की सबसे फेमस जगह मैनपाट है, जिसे छत्तीसगढ़ का शिमला भी कहा जाता है. आज हम विश्व पिकनिक दिवस के मौके पर आपको सरगुजा के प्रसिद्ध जगहों और उनकी विशेषताओं के बारे में बताएंगे, जहां आप दोस्तों और परिवार के साथ अपना वक्त बिता सकते हैं. आइए जानते हैं इन जगहों की विशेषताएं और यहां कैसे पहुंचा जाए.
सरगुजा के मनोरम पिकनिक स्पॉट्स
ये हैं सरगुजा के फेमस पिकनिक स्पॉट
घाघी झरना
घाघी झरना पिछले कुछ सालों से लोगों का मनपसंद पिकनिक स्पॉट बन गया है. यह झरना अंबिकापुर से 28 किलोमीटर दूर मैनपाट रोड पर है, जो बेहद खूबसूरत है. खास बात ये है कि घाघी झरना मुख्य सड़क से लगा हुआ है, जिससे यहां पब्लिक ट्रांसपोर्ट से भी आराम से पहुंचा जा सकता है.
सरगुजा में मनमोहक झरने
मैनपाट-उल्टापानी
अंबिकापुर मुख्यालय से मैनपाट जाने के रास्ते में उल्टा पानी नाम का पिकनिक स्पॉट है. जहां आप कुदरत के अजीबो-गरीब करिश्मे देख सकते हैं. इस जगह का नाम उल्टापानी इसलिए है, क्योंकि यहां पानी उल्टा बहता दिखाई देता है. मतलब ढलान की ओर ना बहकर चढ़ाई की ओर बहता है. यहां बनी एक कच्ची सड़क पर भी एक विशेष स्थान पर अजीब करिश्मा दिखता है. यहां अपनी कार अगर आप न्यूट्रल करके छोड़ देंगे तो आप देखेंगे कि कार खुद चढ़ान की ओर जाने लगेगी. ऐसे दृश्य सैलानियों को खूब रिझाते हैं. जिससे यहां बड़ी संख्या में स्थानीय लोगों के साथ-साथ टूरिस्ट आते हैं. हालांकि भूगर्भशास्त्री इसे कोई चमत्कार नहीं बल्कि ऑप्टिकल इल्यूजन बताते हैं. यह स्थान मुख्य सड़क से करीब 1 किलोमीटर अंदर है. पब्लिक ट्रांसपोर्ट से मेन रोड तक जाने के बाद लगभग एक किलोमीटर पैदल चलना पड़ सकता है. यहां खुद के वाहन से जाना बेहतर विकल्प है.
सरगुजा के झरने
मैनपाट बस्ती
सरगुजा में इस स्थान पर बने तिब्बती कैम्प, बौद्ध मंदिर, तिब्बती होटल, टॉउ की खेती, एप्पल और पाइनएप्पल की खेती, तिब्बती वेशभूषा, तिब्बती शिल्प आकर्षण का केंद्र है. ये जगह अंबिकापुर से 45 किलोमीटर दूर है, जहां पब्लिक ट्रांसपोर्ट से जाया जा सकता है.
सरगुजा के खूबसूरत प्राकृतिक नजारेबूढ़ा नाग झरना
सरगुजा के बूढ़ा नाग झरने कास्वच्छ नीला पानी उत्तराखंड में प्रवाहित नदियों की याद दिलाता है. यहां शांत-सुरम्य वातावरण, पहाड़, नदी, हरियाली, पेड़-पौधे मनोरम दृश्य बनाते हैं. कल-कल बहती मछली नदी पर बना ये झरना बहुत ज्यादा ऊंचा तो नहीं है, लेकिन फोटोग्राफी के लिए एक बेहतरीन स्थान है. इसझरने के बगल में मैनपाट के प्रथम पूज्य देवता बूढ़ा नाग स्थित हैं, जो यहां की आस्था का आधार हैं. यहां नैसर्गिक सौंदर्य के बीच शिवलिंग स्थापित है, बड़ा चबूतरा बना हुआ है. इस झरने में सालभर कोई न कोई धार्मिक आयोजन होता रहता है. यहां के स्थानीय लोगों की मान्यता के अनुसार यह स्थल पुराने समय से स्थापित है. जिनके पूजन से सभी मनोरथ सिद्ध होते हैं. स्थानीय निवासी बताते हैं कि यहां औषधीय गुणों से भरपूर ‘मैन-मिट्टी’ पाई जाती है. जिसके कारण ही इस क्षेत्र का नाम मैनपाट पड़ा. ‘मैन मिट्टी’ का उपयोग मैनपाट के साथ-साथ अंबिकापुर के भी लोग करते हैं.
बूढ़ा नाग नाम के पीछे कई किवदंतियां भी प्रचलित हैं. ग्रामीण बताते हैं कि पुरातन काल में मैनपाट के लोग सर्वप्रथम यहीं बसे थे. धीरे-धीरे यहीं से मैनपाट विस्तारित हुआ और यहां एक बहुत पुराना नाग भी रहता है. जो कभी-कभी दिखाई देता है, इसलिए इस स्थल को लोग बूढ़ा नाग कहते हैं. यहां जल कटाव के कारण पत्थरों में बनी विभिन्न आकृति भी दर्शनीय है. शाम होने से पहले यहां से वापसी करना होता है, क्योंकि यह भालू विचरण क्षेत्र है. इस जगह पर ग्रामीणों की पवित्र मान्यता के कारण मांस-मदिरा का सेवन वर्जित है. बूढ़ा-नाग झरना (स्नेक पॉइंट) कमलेश्वरपुर से 14 किमी दूर परपटिया रोड पर ग्राम ललेया से आगे स्थित है. अंबिकापुर से इसकी दूरी करीब 60 किलोमीटर है. यहां पहुंचने के लिए दुर्गम क्षेत्र में लगभग 300 मीटर पैदल चलना पड़ता है.
सरगुजा की बेमिसाल खूबसूरतीटाइगर प्वाइंट टाइगर प्वाइंट (tiger point in Surguja) असल में घनघोर जंगल के बीच में एक बड़ा और गहरा झरना है. यहां काफी ऊंचाई से पानी गिरता है. पानी के तेज प्रवाह की वजह से उड़ने वाली बूंदें लोगों को खूब लुभाती हैं. इस स्थान पर काफी सारी मधुमक्खियां हैं. यहां आने वाले सैलानियों को संभलकर रहना चाहिए, जिससे मधुमक्खी उन पर हमला न करे. ये जगह अंबिकापुर से मैनपाट होते हुए सीतापुर जाने वाले मुख्य मार्ग से करीब 300 मीटर अंदर है. इसकी अंबिकापुर से कुल दूरी करीब 65 किलोमीटर है. यहां भी पब्लिक ट्रांसपोर्ट से जाया जा सकता है.
दलदली
मैनपाट में ही स्थित दलदली (daldali) भी कुदरत का एक अजीब करिश्मा है. यहां धरती हिलती है या यूं कहें जमीन हिलोरें मारती है. यह स्थान सैलानियों को सबसे अधिक प्रिय है, क्योंकि यहां आश्चर्य के साथ-साथ मनोरंजन भी है. लोग इस जमीन पर उछलते -कूदते हैं. इनके साथ जमीन भी ऐसे उछलती है, मानों कोई रबर की सतह हो. ये जगह अंबिकापुर से करीब 55 किलोमीटर की दूरी पर है, लेकिन यहां पब्लिक ट्रांसपोर्ट से नहीं जाया जा सकता. पब्लिक ट्रांसपोर्ट आपको सिर्फ कमलेश्वरपुर तक ही मिलेगी. वहां से 10 किलोमीटर का सफर आपको अन्य किसी वाहन से तय करना होगा. इसलिए बेहतर ऑप्शन निजी वाहन से जाना है. इसके अलावा भी मैनपाट में कई ऐसे प्वाइंट हैं, जो पिकनिक स्पॉट हैं. यहां आने वाले सभी सैलानियों को प्रकृति हर ओर से अपनी तरफ आकर्षित करती है.
महेशपुर
सरगुजा केउदयपुर विकासखंड में स्थित महेशपुर (Maheshpur) में प्राचीन मूर्तियों और अवशेषों का संग्रह है. यहां कर्चुली कालीन मूर्तियां और कलाकृतियों लोगों के आकर्षण का केंद्र हैं. यह स्थान अंबिकापुर से करीब 65 किलोमीटर दूर है.
रामगढ़
रामगढ़ (Ramgarh) जिसे रामगिरी पर्वत माना जाता है. इसे लेकर कई तरह के विचार हैं. इस जगह को भगवान राम के वनवास के समय के दंडकारण्य से जोड़ा जाता है. कुछ लोग इसे महाकवि कालिदास के पत्नी वियोग में रचित मेघदूतम से जोड़ते हैं. यहां के पर्वतों और जंगलों के अलावा यहां प्राचीन धरोहर में सबसे अधिक महत्वपूर्ण चीज देखी का सकती है, वो है प्राचीन नाट्यशाला. ये एक ऐसा प्राचीन मंच है, जिसमें मंचन के लिए हर सुविधा मौजूद है. यह स्थान अंबिकपुर से 67 किलोमीटर और उदयपुर से 7 किलोमीटर दूर स्थित है. उदयपुर तक आप पब्लिक ट्रांसपोर्ट से जा सकते हैं, लेकिन वहां से रामगढ़ जाने के लिए आपको निजी वाहन लेना होगा.
सरगुजा में प्राचीन धरोहर
सरगुजा जिले में ऐसे बहुत से स्थान हैं, जो प्राकृतिक रूप से बेहद खूबसूरत हैं. किसी भी स्थान पर पिकनिक मनाई जा सकती है. इन जगहों पर जाने के लिए आपको सबसे पहले अंबिकापुर आना होगा. यहां से आप अपना सफर शुरू कर सकते हैं.