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एनसीईआरटी की ओर से पहली क्लास की हिंदी की पाठ्य पुस्तक में दी गई हिंदी की एक कविता ‘आम की टोकरी’ को लेकर आलोचनाओं का दौर जारी है. इन कविताओं को लेकर छत्तीसगढ़ के आईएएस अधिकारी अवनीश शरण ने ट्वीट भी किया था. शिक्षाविदों से इसे लेकर बात की है.
रायपुर 02 जून (KRB24NEWS) : छोटी कक्षाओं में पढ़ाई जाने वाली एनसीईआरटी की किताबों में शामिल कुछ पाठ को लेकर काफी सवाल उठ रहे हैं. इनमें मुख्य रूप से कविताओं को लेकर विवाद है. दरअसल इन कविताओं को लेकर छत्तीसगढ़ के आईएएस अधिकारी अवनीश शरण ने ट्वीट भी किया था. जिसके बाद से लगातार इसका विरोध किया जा रहा है.
एनसीईआरटी की पहली कक्षा की किताब में ‘आम की टोकरी’ नाम की कविता को लेकर IAS अधिकारी अवनीश शरण ने एक ट्वीट करते हुए लिखा कि ये किस सड़क छाप कवि की रचना है. उन्होंने ट्वीट के जरिए इसे तत्काल पाठ्यक्रम से हटाए जाने की मांग की थी. इसके बाद सोशल मीडिया पर इसके पक्ष और विपक्ष में लोग भी सामने आए. ईटीवी भारत की टीम ने रायपुर के कुछ पेरेंट्स और शिक्षाविद से चर्चा करते हुए इसके बारे में राय ली है.
बच्चों के पाठ्यक्रम से कविता को हटाना चाहिए
राजेन्द्र का कहना है कि आजकल की लिखी गई कविताओं का आधार क्या है यह ही नहीं पता. पेरेंट्स को ही समझ नहीं आ रही है तो बच्चो को कैसे समझ आएगी.
कविता में क्या संदेश देना चाहते हैं ये भी समझ से परे है. सागर बुन्देल ने कहा कि जिस कविता को लेकर विरोध हो रहा है इसे बच्चों के पाठ्यक्रम से हटाना चाहिए. क्योंकि कविता में बाल श्रम को बढ़ावा देने का संदेश दिया जा रहा है.
विनीता ने कहा कि कविता में सीखने जैसे कुछ भी नहीं लग रहा है. नितिका सिंह ने कहा कि मैंने आम की टोकरी और पगड़ी वाली कविता पढ़ी. इन सभी कविताओं में कोई मीनिंग नहीं है. कविता पढ़कर बच्चे ज्ञान के साथ में नैतिक शिक्षा ग्रहण करते हैं, लेकिन इसमें ऐसा कुछ भी नहीं.
शिक्षाविद शशांक शर्मा ने कहा बच्चों के लिए सरल और नैतिक शिक्षा मिलने वाली कविताएं होनी चाहिए. पहली दूसरी के कविताओं के पाठ होते हैं. उनमें वर्णमाला को सिखाने की दृष्टि से कविताएं होती है. ताकि बच्चे मात्रा की समझ और वे शब्दों का प्रयोग कर सके. इसलिए वैज्ञानिक दृष्टिकोन के एक शिक्षक कविता लिखता है और एनसीईआरटी लिखवाता है. लेकिन पिछले 20-30 वर्षों में एनसीईआरटी समस्या से जूझ रही है. एनसीईआरटी की किताब से नैतिक शिक्षाप्रद कविताएं बाहर हो गई है.
नैतिक आधार पर कविताओं को लिखा जाना चाहिए
शशांक शर्मा ने कहा कि दिल्ली में बैठकर जिन बुद्धिजीवियों ने इस तरह की कविताओं को लिखा उसमें बड़ी गलतियां है. केंद्र सरकार को कई बार पत्र के अवगत कराया गया है कि इसका पुनर्लेखन होना चाहिए. बच्चों के हिसाब से शिक्षा देने वाली, नैतिक आधार पर इन कविताओं को लिखा जाना चाहिए.