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कोरबा/कटघोरा 31 मई ( KRB24NEWS ) : पुलिस की सेवा में मध्यप्रदेश के दौरान प्रवेश करने वाले अशोक शर्मा उपनिरीक्षक के पद से आज सेवानिवृत्त हो रहे हैं। उन्होंने पूर्ववर्ती मध्यप्रदेश और मौजूदा छत्तीसगढ़ के लिए कुल 41 वर्ष की सेवा दी. इस दौरान अधिकारियों के मार्गदर्शन और फिल्ड ड्यूटी करते हुए महत्वपूर्ण अनुभव प्राप्त किये। इसका लाभ अनेक मामलों को सुलझाने में मिला.

छत्तीसगढ़ के लोरमी पंडरिया क्षेत्र से वास्ता रखने वाले अशोक शर्मा ने अधिवार्षिकी आयु पूरी करने के साथ शासकीय दायित्व से निवृत्ति प्राप्त की है. हालांकि सामाजिक क्षेत्रों में आगे उनकी भागीदारी सक्रिय रूप से बनी रहेगी। 21 मई 1980 में वे पुलिस की सेवा में आए और बिलासपुर सिविल लाइन थाना में आरक्षक के तोर पर पदस्थ हुए. यहां से शुरू हुआ शासकीय सेवा का सफर जारी रहा. कालांतर में उन्होंने विभागीय परीक्षा के जरिए पदोन्नति हासिल की. क्रमिक रूप से अगले वर्षों में वे उप निरीक्षक के पद तक पहुंचे. बिलासपुर, जांजगीर और कोरबा जिले में उन्होंने महत्वपूर्ण सेवाएं दी। सेवाकाल के दौरान शर्मा ने विवेचना से लेकर अनुसंधान की विभिन्न प्रविधियों में दक्षता हासिल की. मनोविज्ञान और अपराध शास्त्र से संबंधित मूल तत्वों का समिचित अध्ययन करने के अलावा विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों, जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में काम करने वाले विशेषज्ञों और प्रबुद्ध वर्ग के संपर्क में आने के साथ उन्होंने बेहतर अनुभव हासिल किए. चार दशक की लंबी सेवा में विभिन्न थाना और चौकी के स्टाफ से लेकर वरिष्ठ अधिकारियों से उन्हें काफी कुछ सीखने का मौका मिला. शर्मा ने बताया कि बेशक इसका लाभ अनेक गंभीर मामलों को सुलझाने के रूप में प्राप्त हुआ। वे मानते हैं कि कई घटनाएं ऐसी होती है जिनकी तह तक जाने में पुलिस कार्मिकों को काफी मशक्कत करनी पड़ती है. ऐसे प्रकरणों में चेतनाशील मस्तिष्क अपनी बेहतर भूमिका निभाता है.

व्यवहारिक होना आवश्यक

मध्यप्रदेश के मंडला स्थित महात्मा गांधी वार्ड से भी अशोक शर्मा का वास्ता है, जहां तीन दशक पहले उनका विवाह हुआ. सामाजिक जीवन से जुड़े अनुभव साझा करते हुए उन्होंने बताया कि शासकीय दायित्व के साथ इस अवधि में आम लोगों और कम्युनिटी से संबंधित विभिन्न कार्यों का संपादन करने से लेकर आड़े वक्त पर लोगों की सहायता की गई है. ऐसा करना आत्मिक रूप से काफी प्रसन्नता और संतुष्टि देने का माध्यम बनता है. उन्होंने युवाओं से आह्वान किया कि अपनी सामर्थ्य और क्षमता से लोगों की सहायता करने की मानसिकता बनाई जाए, यह जरूरी है.

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