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Chaitra Navratri 2025: माता दुर्गा की पूजा अर्चना के लिए चैत्र और आश्विन माह नवरात्र का व्रत रखा जाता है. भक्त नौ दिन तक व्रत रखकर माता दुर्गा की पूजा करते हैं. मान्यता है कि नवरात्र का व्रत रखने और माता की अराधना से भक्तों की हर मनोकामना पूर्ण हो जाती हैं. वर्ष 2025 में 29 मार्च का पहला सूर्य ग्रहण लगने वाला हैं और यह ग्रहण चैत्र अमावस्या को लग रहा है. चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से चैत्र नवरात्र शुरू हो जाता है. इसलिए इस बार चैत्र नवरात्र सूर्य ग्रहण के ठीक अगले दिन शुरू हो रहा है. चैत्र नवरात्र 30 मार्च रविवार से शुरू होकर 6 अप्रैल रविवार तक रहेगी. नवरात्र की पूजा में कलश स्थापना का बहुत महत्व होता है और इसे शुभ मुहूर्त में ही स्थापित किया जाता है. आइए जानते हैं चैत्र नवरात्र की तिथि और कलश स्थापना का मुहूर्त 

कब से चैत्र नवरात्र 

शनिवार 29 मार्च को शाम 4 बजकर 27 मिनट पर चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि शुरू होगी और अगले दिन 30 मार्च रविवार को दोपहर 12 बजकर 49 मिनट पर समाप्त होगी. चैत्र नवरात्र की शुरुआत 30 मार्च रविवार से होगी.

चैत्र नवरात्र में घट स्थापना का शुभ मुहूर्त 

नवरात्र के पहले दिन देवी की पूजा के लिए कलश स्थापना की जाती है. इस बार चैत्र नवरात्र 30 मार्च रविवार से शुरू हो रहा है और इसी दिन कलश स्थापना की जाएगी.

प्रातः काल का मुहूर्त

0 मार्च को घटस्थापना प्रातः काल 6 बजकर 13 मिनट से लेकर 10 बजकर 22 मिनट तक है.

अभिजीत मुहूर्त

दोपहर 12 बजकर 1 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 50 मिनट के बीच अभिजीत मुहूर्त में  घटस्थापना कर सकते हैं.

चैत्र नवरात्र में घट स्थापना पर शुभ योग 

चैत्र नवरात्र के पहले दिन कलश स्थापना तिथि पर सर्वार्थ सिद्धि योग और इंद्र योग का निर्माण हो रहा है.

इसके साथ ही चैत्र नवरात्र में घट स्थापना के दिन शिववास योग का भी संयोग है.

ये सभी योग बार चैत्र नवरात्र की कलश स्थापना के लिए शुभ योग का निर्माण कर रहे हैं.

कलश स्थापना की पूजन सामग्री 

कलश स्थापना के लिए विशेष पूजन सामग्री की जरूरत होती है. इसके लिए कलश, मौली, आम के पत्ते, रोली, गंगाजल, सिक्का, गेंहू या अक्षत, मिट्‌टी के पात्र, शुद्ध मिट्‌टी, जौ, वस्त्र,कलावा, दिया, बत्ती और सिंदूर की जरूरत होती है.

कलश स्थापना की विधि 

कलश स्थापना के लिए सबसे पहले पूजा स्थान को साफ करें

ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करने के बाद शुभ मुहूर्त में कलश स्थापना करें.

सबसे पहले कलश में पानी भरें.

कलश में सिक्का, सुपारी, गंगाजल, शहद, आम के पत्ते रखें.

कलश के ऊपरी भाग में रोली लगाएं

कलश के मुंह पर पांच आम के पत्ते रखें और नारियल में कलावा बांधकर रखें

कलश को मिट्‌टी के पात्र में अक्षत के ऊपर स्थापित करें.

घी का दिया जलाकर कलश की पूजा करें.

कलश स्थापना के दौरान करें इन मंत्रों का जाप 

ॐ ह्रींग डुंग दुर्गायै नमः

ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै

सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके।

शरण्ये त्र्यंबके गौरी नारायणि नमोऽस्तुते।।

मां दुर्गा का आह्वान मंत्र –

ॐ जयन्ती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी।

दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुते।।